शनि ग्रह की महादशा और साढ़ेसाती:
जानें अंतर और प्रभाव
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
ज्योतिष में शनि ग्रह को न्यायाधीश का दर्जा प्राप्त है। यह ग्रह मनुष्य के कर्मों के अनुसार फल देता है। खासकर जब किसी व्यक्ति पर शनि की महादशा या साढ़ेसाती का समय चलता है, तब इसके प्रभाव अधिक दिखाई देते हैं। अक्सर लोग शनि की महादशा और साढ़ेसाती को एक समान समझ बैठते हैं, जबकि ये दोनों अलग अवधियां और प्रभाव रखती हैं। आइए जानते हैं शनि की महादशा और साढ़ेसाती के अंतर और इनके प्रभाव के बारे में।
शनि की महादशा क्या है?
शनि की महादशा लगभग 19 साल तक चलती है। इस दौरान शनि का प्रभाव आपके जीवन पर सबसे अधिक दिखाई देता है। यह वह समय है जब व्यक्ति को अपने पिछले कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होते हैं। शनि की महादशा आपके स्वास्थ्य, धन, शिक्षा, करियर और पारिवारिक जीवन पर असर डाल सकती है। कुंडली में शनि की स्थिति तय करती है कि महादशा का प्रभाव सकारात्मक होगा या नकारात्मक।
शनि की साढ़ेसाती क्या है?
साढ़ेसाती आपकी चंद्र राशि पर निर्भर करती है। जब शनि आपकी चंद्र राशि से पहले की, आपकी और बाद की राशि में ढाई-ढाई साल रहते हैं, तब इसे साढ़ेसाती कहा जाता है। कुल मिलाकर यह लगभग 7.5 साल का समय होता है। इस दौरान शनि व्यक्ति की परीक्षा लेते हैं और जीवन में उतार-चढ़ाव ला सकते हैं।
शनि की महादशा का फल
अगर कुंडली में शनि मजबूत और शुभ स्थिति में हो तो महादशा के दौरान व्यक्ति को जीवन में सफलता, मेहनत का फल, नई जिम्मेदारियां और करियर में ऊंचाई प्राप्त होती है। इसके साथ ही पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है। वहीं, यदि शनि प्रतिकूल स्थिति में हो तो संघर्ष बढ़ सकते हैं, कार्यों में देरी हो सकती है और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव दिखाई दे सकता है। ऐसी स्थिति में शनि के उपाय करना लाभकारी माना जाता है।
शनि की साढ़ेसाती का फल
साढ़ेसाती के दौरान जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं। विशेषकर यदि शनि अशुभ स्थिति में हो तो मानसिक और शारीरिक परेशानियां सामने आ सकती हैं। यह समय शनि द्वारा व्यक्ति की धैर्य, सहनशीलता और योग्यता की परीक्षा लेने का होता है। यह व्यक्ति को अनुभव और सीख देने वाला समय भी साबित हो सकता है।