मंदिर में फोन ले जाना क्यों होता है निषेध,
ये है इसके पीछे की कहानी
1 days ago
Written By: anjali
मंदिर एक पवित्र स्थान है, जहाँ भक्ति, ध्यान और आध्यात्मिक शांति की आवश्यकता होती है। आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन क्या इसे मंदिर में ले जाना उचित है? आइए, धार्मिक ग्रंथों और व्यावहारिक नियमों के आधार पर इस विषय को समझते हैं।
धार्मिक दृष्टि से मोबाइल और मंदिर
शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि "देव पूजन में मन की एकाग्रता और शुद्धता आवश्यक है।" मोबाइल फोन से आने वाली नोटिफिकेशन, कॉल या सोशल मीडिया की आदत भक्ति में विघ्न डाल सकती है। ध्यान भंग होना: मोबाइल के कारण मन भटकता है, जो पूजा-अर्चना के लिए अनुचित है। अशुद्धता का भाव: कुछ मान्यताओं के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाली तरंगें पवित्र वातावरण को प्रभावित कर सकती हैं। शोरगुल: फोन की रिंगटोन या अलार्म मंदिर की शांति को भंग कर सकता है।
आधुनिक समय में मोबाइल का उपयोग
हालाँकि, आजकल कई मंदिरों में डिजिटल दान, ऑनलाइन आरती या वर्चुअल दर्शन की सुविधा है। ऐसे में, मोबाइल का सीमित और सही उपयोग स्वीकार्य हो सकता है, जैसे: QR कोड से दान करना। धार्मिक स्तोत्र या मंत्र सुनने के लिए (साइलेंट मोड में)। मंदिर की महत्वपूर्ण जानकारी या फोटो लेना (यदि अनुमति हो)।
क्या करें और क्या न करें?
सही तरीका:
फोन को साइलेंट या फ्लाइट मोड में रखें।
जरूरी हो तो मोबाइल काउंटर पर जमा करवाएँ (कई मंदिरों में यह सुविधा है)।
सिर्फ धार्मिक उद्देश्य (जैसे डिजिटल पूजा) के लिए उपयोग करें।