3 नवंबर को दुर्लभ योग में होगा सोम प्रदोष व्रत, शिवभक्तों को मिलेगा दोगुना पुण्य फल,
जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
2 months ago Written By: Aniket Prajapati
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार कार्तिक मास का पहला प्रदोष व्रत 3 नवंबर 2025, सोमवार को पड़ रहा है। यह दिन इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि सोम प्रदोष का संयोग सोमवार के साथ बन रहा है और साथ ही रवि योग भी रहेगा। सोमवार भगवान शिव को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन व्रत रखने से दोगुना पुण्य फल प्राप्त होता है। श्रद्धालु इस अवसर को बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं।
प्रदोष व्रत क्या है और इसका महत्व
प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में हर महीने दो बार त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और सफलता आती है। इस बार कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 नवंबर की सुबह 5:07 बजे से शुरू होकर 4 नवंबर की रात 2:05 बजे तक रहेगी। इसलिए व्रत 3 नवंबर को रखा जाएगा।
सोम प्रदोष का विशेष महत्व
जब प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष कहा जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस व्रत को करने से चंद्रमा से जुड़े दोषों का निवारण होता है और इच्छित फल की प्राप्ति होती है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो या जीवन में मानसिक तनाव बना रहता हो, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों को संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि का आशीर्वाद भी मिलता है।
व्रत और पूजा की विधि
प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल को स्वच्छ करें और भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, पुष्प, जल और दूध अर्पित करें। पूरे परिवार सहित शिव परिवार की आराधना करें और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। अंत में शिव चालीसा और आरती कर सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना करें। व्रत का पारण पूजा संपन्न होने के बाद ही करें।