3 नवंबर को है सोम प्रदोष व्रत: जानें शुभ मुहूर्त,
पूजा विधि और शिवजी से जुड़ी पौराणिक कथा
1 months ago Written By: ANIKET PRAJAPATI
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है। हर महीने दो प्रदोष व्रत आते हैं—एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। इस तरह साल भर में कुल 24 प्रदोष व्रत होते हैं। इस बार 3 नवंबर 2025, सोमवार को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पड़ रही है, इसलिए इस दिन सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। माना जाता है कि इस दिन शिवजी की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सूर्यास्त के बाद की जाती है पूजा
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है। इस दिन भक्तजन शिव-पार्वती की आराधना कर उपवास रखते हैं और संध्या के समय दीपक जलाकर मंदिर या घर में भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं।
त्रयोदशी तिथि की अवधि इस प्रकार है:
प्रारंभ: 3 नवंबर 2025 सुबह 5:07 बजे से
समाप्त: 4 नवंबर 2025 सुबह 2:05 बजे तक
प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5:34 बजे से 8:11 बजे तक रहेगा। इस समय पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।
सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा
पुराणों में वर्णन मिलता है कि एक नगर में एक गरीब ब्राह्मणी अपने पुत्र के साथ रहती थी। उसके पति का देहांत हो चुका था, और रोजी-रोटी का कोई साधन नहीं था। फिर भी वह हर प्रदोष तिथि पर व्रत रखती और भगवान शिव की पूजा करती थी। एक दिन भिक्षा मांगकर लौटते समय उसे रास्ते में एक घायल युवक मिला। दया से भरकर ब्राह्मणी उसे घर ले आई और उसकी सेवा की। बाद में पता चला कि वह युवक विदर्भ राज्य का राजकुमार है, जो अपने पिता को कैद करने वाले दुश्मनों से बचकर भागा था। राजकुमार ब्राह्मणी और उसके पुत्र के साथ रहने लगा।
जब शिवजी ने गंधर्वों को दिए दर्शन
कुछ समय बाद एक दिन गंधर्व कन्या अंशुमति ने उस राजकुमार को देखा और उसे अपना जीवनसाथी बनाने का निश्चय किया। जब उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई, तो उन्हें स्वप्न में स्वयं भगवान शिव ने दर्शन देकर आज्ञा दी कि वे अंशुमति का विवाह उसी राजकुमार से करें। भगवान की आज्ञा पाकर गंधर्वों ने विवाह कर दिया। शिवजी की कृपा से राजकुमार ने बाद में अपने राज्य को वापस जीत लिया। उसने ब्राह्मणी के पुत्र को राजकुमार बनाया और ब्राह्मणी के जीवन में सुख-समृद्धि लौटा दी।
प्रदोष व्रत से मिलता है शुभ फल
कहा जाता है कि जैसे भगवान शिव ने उस ब्राह्मणी और उसके पुत्र का जीवन बदल दिया, वैसे ही जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से सोम प्रदोष व्रत करते हैं, उनके जीवन से भी संकट दूर होकर सुख और सफलता प्राप्त होती है। यह व्रत शिवभक्तों के लिए कल्याणकारी और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।