Vijayadashami 2025: दशहरे पर क्यों होती है आयुध पूजा,
जानिए अस्त्र-शस्त्र पूजा का महत्व और शुभ समय
24 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Vijayadashami: विजयादशमी या दशहरा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, बल्कि इस दिन आयुध पूजा यानी अस्त्र-शस्त्र की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस साल विजयादशमी 2 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था और माता दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए अपने अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया था। इस अवसर पर न केवल योद्धा, बल्कि व्यापारी, विद्यार्थी और कलाकार भी अपने औजारों की पूजा करते हैं।
आयुध पूजा और इसका महत्व आयुध पूजा को शस्त्र पूजा या सरस्वती पूजन के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन न केवल हथियारों, औजारों और मशीनों की पूजा की जाती है, बल्कि उन सभी उपकरणों का भी सम्मान किया जाता है जो हमारे जीवन में सफलता और सुरक्षा का माध्यम हैं। विद्यार्थियों के लिए यह किताबों का, व्यापारियों के लिए तराजू-बहीखातों का, और कलाकारों के लिए उनके औजारों का महत्व दर्शाता है। यह पूजा यह स्मरण कराती है कि हमारे उपकरण ही हमारी आजीविका और सफलता का आधार हैं।
विजय का प्रतीक विजयादशमी को अन्याय पर न्याय, अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम और माता दुर्गा ने इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की। इसलिए इस दिन शत्रु पर विजय और आत्मरक्षा में सहायक अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है।
आयुध पूजा का शुभ मुहूर्त 2025
इस साल विजयादशमी 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
दशमी तिथि: 1 अक्टूबर 2025 शाम 7:01 से 2 अक्टूबर 2025 शाम 7:10 तक
विजय मुहूर्त: 2 अक्टूबर 2025 दोपहर 2:09 से 2:56 तक इस समय में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह हर कार्य में सफलता दिलाने वाला माना गया है।
आयुध पूजा कैसे करें
जिन उपकरणों या अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करनी है, उन्हें अच्छी तरह साफ करें।
पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाएं और उन्हें रखें।
गंगाजल छिड़कें, रोली, कुमकुम और चंदन का तिलक लगाएं।
फूल, माला और वस्त्र अर्पित करें।
मिठाई या नैवेद्य का भोग लगाएं।
धूप-दीप जलाकर आरती करें और प्रार्थना करें कि ये उपकरण आपकी रक्षा करें और कार्य में सफलता दें।