विश्वकर्मा पूजा पर करें इस तरह से अर्चना,
बनने लगेंगे बिगड़े काम
1 months ago Written By: ANJALI
हर साल श्रद्धालु भक्ति भाव से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। उन्हें देवताओं का दिव्य वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है, जिन्होंने ब्रह्मांड के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह दिन विशेष रूप से कारीगरों, शिल्पकारों और इंजीनियरों के लिए अहम माना जाता है। इस अवसर पर लोग अपने औजारों, मशीनों और कार्यस्थलों की पूजा करते हैं और सफलता व सुरक्षा की कामना करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने न केवल देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र बनाए, बल्कि लंका और द्वारका का निर्माण भी किया। विश्वकर्मा पूजा का पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि प्रगति के आधार यानी औजारों और मशीनों के प्रति सम्मान प्रकट करने का भी प्रतीक है। इस दिन कार्यक्षेत्र की समृद्धि और सुरक्षित कार्य वातावरण के लिए भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद लिया जाता है।
विश्वकर्मा पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त
अमृत काल: रात 12:06 मिनट से 01:43 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:18 मिनट से 03:07 मिनट तक
इस दिन श्रद्धालु अपनी सुविधा अनुसार स्नान-ध्यान करके पूजा कर सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा की विधि
पूजा से एक दिन पहले या सुबह कार्यस्थल, औजारों और मशीनों की सफाई करें।
भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
पूजा सामग्री में फूल, फल, मिठाई, अक्षत, रोली, चंदन, धूप, दीपक और कलश रखें।
स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
इसके बाद भगवान विश्वकर्मा को तिलक लगाएं, गंगाजल अर्पित करें, फूल-माला चढ़ाएं और दीपक जलाएं।
अपने औजारों और मशीनों पर भी तिलक व फूल अर्पित करें।
मिठाई और घर की बनी विशेष मीठी चीजों का भोग लगाएं।
पूजा के दौरान मंत्र “ॐ आधार शक्तपे नमः, ॐ कूमयि नमः, ॐ अनंतम नमः, ॐ पृथिव्यै नमः, ॐ श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्मयाय नमो नमः” का जाप करें।