विश्वकर्मा पूजा पर किस तरह से करें पूजा,
जानें क्या है पूजा का लाभ
2 days ago
Written By: ANJALI
हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि का पहला महान शिल्पीकार माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार उन्होंने रामायण काल में सोने की लंका बनाई और श्री कृष्ण के समय द्वारका नगरी का निर्माण कराया। इसके अलावा, उन्होंने देवी-देवताओं के आवास और विभिन्न शस्त्रों का निर्माण भी किया। उनका यह योगदान उन्हें शिल्प और निर्माण का आदर्श बनाता है।
कब और कैसे करें पूजा?
साल 2025 में भगवान विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को सुबह 6:07 बजे से 12:15 बजे के बीच होगी। पूजा से पहले व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और ध्यान करना चाहिए। इसके बाद अपने औजार, मशीनें और कार्यस्थल साफ कर लें। भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र को चौकी पर रखकर पुष्प, फल, दीप, धूप, रोली और चंदन से पूजा करें। इस दिन मंत्र ‘ॐ विश्वकर्मणे नमः’ का जप करने से विशेष लाभ होता है। पूजा के बाद सभी में प्रसाद बांटें और स्वयं ग्रहण करें।
पूजा का धार्मिक महत्व
विश्वकर्मा पूजा मुख्य रूप से कामगारों, शिल्पकारों और उनके औजारों से जुड़ी होती है। यह पूजा करने से कार्य में बाधाएं कम होती हैं और व्यवसाय, उद्योग या शिल्प में तरक्की होती है। इसके अलावा कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और सहयोग की भावना विकसित होती है।
पूजा के लाभ
भगवान विश्वकर्मा की पूजा से कई लाभ माने जाते हैं:
व्यवसाय और उद्योग में वृद्धि: पूजा से काम में मनचाही प्रगति होती है।
औजारों और मशीनों की सुरक्षा: पूजा के पुण्य से उपकरण पूरे साल सुरक्षित रहते हैं।
कौशल और मेहनत का सम्मान: यह पर्व शिल्पकारों और कामगारों के प्रयासों को मान्यता देता है।
सकारात्मक ऊर्जा और सहयोग: कार्यस्थल पर सहयोग और सकारात्मक माहौल बनता है।
विश्वकर्मा पूजा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह कामगारों, व्यवसायियों और शिल्पकारों के लिए उनके प्रयासों में सफलता दिलाने और कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने का प्रतीक है। इस वर्ष पूजा विधिपूर्वक करने से व्यवसाय, उद्योग और कार्यस्थल में सौभाग्य और उन्नति सुनिश्चित होती है।