वृश्चिक संक्रांति 2025: सूर्य पूजा, दान और स्नान से मिलेगा अक्षय पुण्य,
जानें तिथि और महत्व
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे संक्रांति कहा जाता है। हर संक्रांति का सनातन धर्म में खास धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है। नवंबर महीने की संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। यह दिन सूर्य देव की पूजा, स्नान और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ कर्मों का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। यह दिन आत्मिक शुद्धि और पुण्य अर्जन का श्रेष्ठ अवसर होता है।
कब है वृश्चिक संक्रांति और शुभ मुहूर्त इस साल वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर 2025, रविवार को मनाई जाएगी। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।
संक्रांति का समय: दोपहर 1:45 बजे
पुण्य काल: सुबह 8:02 से दोपहर 1:45 बजे तक
महापुण्य काल: सुबह 11:58 से दोपहर 1:45 बजे तक
इन समयों में स्नान, सूर्य पूजा और दान करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देकर उनसे परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
वृश्चिक संक्रांति पर दान का महत्व वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव की उपासना, मंत्र जाप और पवित्र नदियों में स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किया गया दान कई जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाता है। विशेष रूप से गाय का दान और अन्न दान अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इससे जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।
अन्न और वस्त्र दान का महत्व इस दिन गरीबों को गेहूं, चावल, दाल आदि अन्न का दान करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। यह दान लक्ष्मी कृपा को स्थायी बनाता है और आर्थिक स्थिति मजबूत करता है। इसके साथ ही वस्त्रों का दान भी बहुत फलदायी होता है। यदि नए कपड़े न हों, तो साफ और अच्छे पुराने कपड़े भी दान किए जा सकते हैं। मंदिर, गौशाला या अनाथालय में धन दान करने से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।
फल और मिठाई का दान क्यों करें शास्त्रों में वृश्चिक संक्रांति के दिन लाल रंग के फल और मिठाई दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। यह दान मनोकामना पूर्ति का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर-परिवार में खुशहाली आती है और जीवन में नई संभावनाएं खुलती हैं।
क्या करें और क्या न करें इस दिन प्रातःकाल स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दें और उसके बाद दान करें। दान हमेशा सम्मानपूर्वक और निःस्वार्थ भाव से करें। इस दिन क्रोध, आलस्य और अपवित्र भोजन से बचना चाहिए। दान के बाद सूर्य देव की पूजा और साधना करना अत्यंत शुभ माना गया है।