जब ग्रह हो जाते हैं ‘अस्त’:
जानिए कुंडली में क्या असर डालते हैं कमजोर ग्रह
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रहों की स्थिति बहुत महत्व रखती है। यही ग्रह हमारे स्वभाव, भाग्य, करियर, रिश्तों और जीवन की दिशा तय करते हैं। कुंडली में कुछ ग्रह उच्च के होते हैं तो कुछ नीच के, कुछ उदित होते हैं तो कुछ अस्त यानी कमजोर हो जाते हैं। जब कोई ग्रह सूर्य के अत्यधिक निकट आ जाता है, तो उसकी शक्ति घट जाती है। इस स्थिति को “ग्रह अस्त” कहा जाता है। आइए जानते हैं ग्रहों के अस्त होने का अर्थ, इसका प्रभाव और किन परिस्थितियों में ये शुभ भी साबित हो सकते हैं।
कब और कैसे होते हैं ग्रह अस्त
ज्योतिष के अनुसार, जब कोई ग्रह सूर्य के बहुत पास आ जाता है, तो सूर्य की तेज रोशनी में उसकी चमक और प्रभाव कम हो जाता है। इसे ही ग्रह का अस्त होना कहते हैं। इस स्थिति में ग्रह अपनी पूरी शक्ति से काम नहीं कर पाता और व्यक्ति के जीवन में इसका असर देखने को मिलता है। ज्यादातर मामलों में यह स्थिति प्रतिकूल मानी जाती है, हालांकि कुछ अपवाद भी हैं जहां अस्त ग्रह शुभ फल दे सकता है।
अलग-अलग ग्रहों के अस्त होने का प्रभाव
बुध अस्त: बुध के अस्त होने से व्यक्ति संकोची स्वभाव का हो सकता है। वह अपनी बात खुलकर नहीं कह पाता और उसकी वाणी में तीखापन या कठोरता आ सकती है। बौद्धिक क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति भी कमजोर हो सकती है।
शुक्र अस्त: शुक्र प्रेम, सौंदर्य और भौतिक सुख का प्रतीक है। इसके अस्त होने से रिश्तों में दरार, प्रेम जीवन में तनाव और रचनात्मकता में कमी देखी जा सकती है। ऐसे लोगों को भौतिक सुख प्राप्त करने में कठिनाई आती है।
मंगल अस्त: मंगल के अस्त होने से साहस और आत्मविश्वास घटता है। व्यक्ति क्रोधी तो होता है, लेकिन अपना गुस्सा व्यक्त नहीं कर पाता। नेतृत्व क्षमता भी कमजोर हो सकती है।
गुरु अस्त: गुरु ग्रह ज्ञान और परिवार का कारक है। इसके अस्त होने से पारिवारिक जीवन में परेशानी, संतान प्राप्ति में बाधा और आध्यात्मिक प्रगति में रुकावटें आ सकती हैं।
शनि अस्त: शनि के अस्त होने से व्यक्ति अनुशासनहीन और अव्यवस्थित हो सकता है। उसके कामों को समाज या परिवार में मान्यता नहीं मिलती और प्रयासों का फल देर से मिलता है।
चंद्र अस्त: चंद्रमा के अस्त होने से व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकता है। मां से मनमुटाव या उनके स्वास्थ्य में दिक्कतें भी देखने को मिल सकती हैं।
क्या अस्त ग्रह शुभ परिणाम भी दे सकते हैं?
जी हां, हर अस्त ग्रह अशुभ नहीं होता। अगर कोई अस्त ग्रह कुंडली के 6वें, 8वें या 12वें भाव में स्थित हो, तो यह शुभ परिणाम भी दे सकता है। इसके अलावा यदि किसी शुभ ग्रह की दृष्टि उस पर हो या व्यक्ति सही उपाय करे, तो अस्त ग्रह भी सकारात्मक फल दे सकता है। ज्योतिष के अनुसार, पूजा-पाठ, मंत्र जाप या दान जैसे उपाय ग्रह की कमजोरी को कम कर सकते हैं।