रत्न को बार-बार उतारना क्यों नहीं है शुभ?
जानिए ज्योतिष और विज्ञान दोनों का नजरिया
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का अत्यधिक महत्व माना गया है। कहा जाता है कि यदि सही ग्रहों की स्थिति देखकर मोती, नीलम, पुखराज, माणिक्य या हीरा जैसे रत्न धारण किए जाएं, तो ये व्यक्ति के जीवन में अद्भुत सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं। ये रत्न न केवल मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ाते हैं, बल्कि जीवन की अनेक परेशानियों को भी दूर करते हैं। लेकिन बहुत से लोग ऐसा करते हैं कि जब मन हुआ, अंगूठी पहन ली, फिर उतार दी। सवाल यह है कि क्या ऐसा करना सही है? क्या रत्न को बार-बार उतारने से उसका प्रभाव खत्म हो जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे का ज्योतिषीय और वैज्ञानिक कारण।
रत्न को बार-बार निकालना शुभ नहीं माना गया है
ज्योतिष के अनुसार, रत्न धारण करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक ऊर्जा विज्ञान है। हर रत्न अपने ग्रह की शक्ति से जुड़ा होता है और जब इसे शरीर से लगातार संपर्क में रखा जाता है, तो यह धीरे-धीरे अपनी ऊर्जा हमारे शरीर में प्रवाहित करता है। लेकिन जब रत्न को बार-बार उतारा जाता है, तो यह ऊर्जा प्रवाह बाधित हो जाता है और उसका प्रभाव कम हो जाता है। इसलिए ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि रत्न वाली अंगूठी को बिना कारण उतारना शुभ नहीं होता।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण: ऊर्जा प्रवाह में रुकावट आती है
अंक और रत्न शास्त्र के अनुसार, हर रत्न एक ग्रह से गहराई से जुड़ा होता है — जैसे पुखराज बृहस्पति का, नीलम शनि का, और माणिक्य सूर्य का प्रतीक है। जब ये रत्न धारण किए जाते हैं, तो वे अपने ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा को शरीर में संतुलित रूप से प्रवाहित करते हैं। लेकिन अगर इन्हें बार-बार उतारा जाए, तो ग्रहों के साथ बनने वाला यह ऊर्जा-संबंध कमजोर पड़ जाता है और व्यक्ति को उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी रत्न उतारना नुकसानदायक
विज्ञान के अनुसार भी रत्न को बार-बार निकालना उचित नहीं है। रत्न की ऊर्जा त्वचा के लगातार संपर्क से सक्रिय रहती है। जब इसे बार-बार निकाला जाता है, तो इस संपर्क में रुकावट आती है। इसके अलावा बार-बार पहनने और उतारने से रत्न की सतह पर खरोंचें पड़ सकती हैं, जिससे उसकी चमक और गुणवत्ता घट जाती है। कुछ रत्न, जैसे नीलम और हीरा, अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, जो बार-बार के स्पर्श से अपनी ऊर्जा खो देते हैं। साथ ही, अंगूठी के टूटने या गिरने का खतरा भी बना रहता है।
लगातार रत्न धारण करने के लाभ
रत्न को निरंतर पहनने से व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व और संतुलन आता है। यह ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है, मानसिक तनाव को दूर रखता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है। इसके साथ ही यह व्यक्ति की एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत बनाता है। कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति सही रत्न को निरंतर धारण करता है, तो उसकी आभा (Aura) अधिक शक्तिशाली और आकर्षक हो जाती है।
रत्न की सही देखभाल कैसे करें?
रत्न को बार-बार उतारना उचित नहीं, लेकिन उसकी सफाई और ऊर्जा को चार्ज करना जरूरी है। इसके लिए हल्के साबुन और गुनगुने पानी से रत्न को धीरे-धीरे साफ करें। महीने में एक या दो बार इसे धूप या चांदनी में कुछ घंटे के लिए रखें, इससे रत्न पुनः ऊर्जावान हो जाता है। ध्यान रखें कि इसे सुरक्षित और पवित्र स्थान पर ही रखें, ताकि उसकी ऊर्जा बनी रहे।