Interview : कबड्डी की नेशनल प्लेयर से मॉडल बनने तक का सफर,
पढ़िए- मिसेज इंडिया प्रीति सिंह का खास इंटरव्यू
1 months ago Written By: उज्जवल सोमवंशी
मिसेज इंडिया प्रतियोगिता में टॉप थ्री में जगह बनाने वाली प्रीति सिंह की जर्नी संघर्ष, सपनों और हौसले की अनोखी कहानी है। ग्वालियर स्पोर्ट्स कॉलेज के ऑफर को ठुकराना, शादी के बाद अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद, समाज और परिवार की रुकावटें… लेकिन प्रीति ने हार नहीं मानी। यूपी न्यूज़ से खास बातचीत में उन्होंने अपनी जिंदगी की कहानी, संघर्ष, प्रेरणा और भविष्य की योजनाएं साझा कीं हैं। ये हैं उनसे बातचीत के कुछ अंश...
सवाल 1: मिसेज इंडिया टॉप थ्री में जगह बनाने पर कैसा लग रहा है? जवाब: ये मेरे लिए सपने जैसा है। इतने सालों की मेहनत, संघर्ष और इंतजार के बाद जब मंच पर मेरा नाम टॉप थ्री में आया, तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं ये मुकाम हासिल कर पाई।
सवाल 2: आपकी जर्नी काफी दिलचस्प लगती है। शुरुआत कहां से हुई?
जवाब: बचपन से ही मेरा शौक फैशन, सिंगिंग और गेम्स में था। स्कूल के दिनों में कबड्डी नेशनल तक पहुंची। ग्वालियर स्पोर्ट्स कॉलेज से भी ऑफर मिला था, लेकिन घरवालों ने जाने नहीं दिया। खेल की दुनिया छोड़नी पड़ी, और शादी के बाद सबकुछ पीछे छूट गया।
सवाल 3: शादी के बाद जिंदगी कैसी रही?
जवाब: शादी के बाद अपनी पसंद की चीजों से दूरी बनानी पड़ी। मेरे पति संत समाज से हैं, एस्ट्रोलॉजर भी हैं, उनका माहौल बिल्कुल अलग था। उन्हें मॉडलिंग, डांस या सिंगिंग जैसी चीजें पसंद नहीं थीं। मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को दबा दिया, लेकिन मन में हमेशा ये था कि एक दिन अपनी पहचान जरूर बनाऊंगी।
सवाल 4: तो फिर मिसेज इंडिया तक का सफर कैसे शुरू हुआ?
जवाब: शुरुआत मैराथन से हुई। एक दिन अचानक 10 किलोमीटर की मैराथन में हिस्सा लिया और डेढ़ घंटे में पूरी की। धीरे-धीरे फैशन शो में कदम रखा, मिसेज यूपी में हिस्सा लिया और वहां भी टॉप थ्री में जगह बनाई। फिर मुझे मिसेज इंडिया का ऑफर मिला। पहले हिचकिचाहट थी, लेकिन मेरी बेटी और मां ने इतना सपोर्ट किया कि मैंने हां कर दी।
सवाल 5: परिवार में किसका सबसे ज्यादा साथ मिला? जवाब: मेरी मां और बेटी मेरी ताकत हैं। मेरी मां हमेशा कहती थीं, “अपने सपनों को मत दबाओ।” जब मैंने मिसेज इंडिया में हिस्सा लिया तो मेरी बेटी ने कहा — “मम्मी, आप इस लायक हो, आप जरूर जीतोगी।” पति को मेरी मॉडलिंग लाइन पसंद नहीं थी, लेकिन मेरे जुनून और मेहनत को देखकर उन्होंने भी हां कर दी।
सवाल 6: प्रतियोगिता में कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा ? जवाब: बहुत। समाज की सोच, परिवार की बंदिशें, आर्थिक दिक्कतें, सबकुछ रास्ते में खड़ा था। बचपन से ही भाइयों ने पहनावे पर रोक लगा दी थी- जींस, स्कर्ट सब छुड़वा दी गईं। शादी के बाद भी मेरे पहनावे और शौक को लेकर दिक्कतें आईं। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। ये मानती हूं कि जब परिवार का सपोर्ट हो, तो नामुमकिन कुछ नहीं।
सवाल 7: इस सफर में कौन-कौन से लोग आपके साथ रहे? जवाब: इस जर्नी में मेरी सरोज मैम (जयपुर) का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने मेरे टैलेंट को पहचाना और मुझे हर कदम पर गाइड किया। इसके अलावा कश्यप सर, मौसमी मैम और पूरी टीम ने मुझे बहुत सपोर्ट किया।
सवाल 8: आगे का सपना क्या है?
जवाब: मेरा सपना है कि लोग मुझे मेरे नाम से पहचानें- “अरे, प्रीति आ रही हैं”। मिसेज इंडिया सिर्फ एक खिताब नहीं है, बल्कि मेरे खुद की पहचान बनाने का पहला कदम है।
सवाल 9: उन महिलाओं और लड़कियों के लिए आपका मैसेज क्या है, जो ऐसे सपने देखती हैं? जवाब: मेरा संदेश साफ है, “अपने शौक मत मारो। रसोई में रहना गलत नहीं, लेकिन अपनी कला, अपनी पहचान को दबाना भी ठीक नहीं। हिम्मत रखो, आगे बढ़ो समाज क्या कहेगा, ये मत सोचो। खुद पर विश्वास रखो और अपनी पहचान बनाओ।”