‘अंग्रेजों के ज़माने के जेलर’ असरानी नहीं रहे, 84 की उम्र में हुआ निधन,
400 से ज़्यादा फिल्मों से छोड़ गए हंसी की विरासत
4 days ago
Written By: News Desk
बॉलीवुड के दिग्गज कॉमेडियन और एक्टर असरानी (Asrani) का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले पांच दिनों से मुंबई के जुहू स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती थे, जहां शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। असरानी का असली नाम गोवर्धन असरानी था। उनका जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर में हुआ था। छह दशकों से अधिक लंबे करियर में उन्होंने 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और अपनी कॉमिक टाइमिंग, डायलॉग डिलीवरी और एक्सप्रेशन से दर्शकों को हँसाया। फिल्म ‘शोले’ में अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर के रूप में उनका किरदार आज भी सिनेमा प्रेमियों की यादों में जिंदा है।
जुहू अस्पताल में निधन, शाम को हुआ अंतिम संस्कार
असरानी के मैनेजर बाबूभाई थीबा ने बताया कि उनका निधन आज सुबह जुहू के अस्पताल में हुआ। शाम को उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज वेस्ट के शास्त्री नगर शवदाह गृह में कर दिया गया। इस मौके पर उनके परिजन, कुछ करीबी दोस्त और इंडस्ट्री के चुनिंदा लोग मौजूद रहे। उनके निधन की खबर से बॉलीवुड जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
जयपुर से शुरू हुआ सफर
असरानी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सेंट जेवियर स्कूल, जयपुर से की और फिर राजस्थान कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया। पढ़ाई के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए रेडियो आर्टिस्ट के रूप में काम किया, लेकिन अभिनय के प्रति लगाव ने उन्हें मुंबई खींच लाया। फिल्मों में जगह बनाना आसान नहीं था। कई सालों तक संघर्ष करने के बाद असरानी को जया भादुड़ी स्टारर फिल्म ‘गुड्डी’ (1971) से पहचान मिली। यह फिल्म हिट रही और असरानी को कॉमेडी में एक अलग पहचान दिलाई।
असरानी ने मेहनत से बनाया मुकाम
असरानी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शुरूआती दौर में उन्हें कई निर्देशकों ने गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा था, “गुलज़ार साहब ने भी कहा था कि असरानी कुछ अजीब चेहरा है, कमर्शियल एक्टर नहीं लगते।” लेकिन अपनी मेहनत और शानदार अभिनय से असरानी ने उन सभी धारणाओं को गलत साबित किया। कोशिश (1973), बावर्ची (1972), चुपके चुपके (1975), छोटी सी बात (1975) और शोले (1975) जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन कॉमेडियनों की श्रेणी में खड़ा किया।
पत्नी मंजू बंसल के साथ कई फिल्मों में नजर आए
असरानी की पत्नी मंजू बंसल (मंजू ईरानी) भी अभिनेत्री हैं। दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया और फिल्मी दुनिया में एक प्यारे जोड़े के रूप में जाने गए। अभिनय के साथ असरानी ने राजनीति में भी कदम रखा। वर्ष 2004 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली और लोकसभा चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाई। हालांकि राजनीति में उनका सफर लंबा नहीं चला, लेकिन उन्होंने हमेशा सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी।
बॉलीवुड की हंसी का वो चेहरा जो हमेशा जिंदा रहेगा
असरानी सिर्फ एक हास्य कलाकार नहीं थे, बल्कि एक ऐसे कलाकार थे जो हर किरदार में नई जान डाल देते थे। उनकी कॉमिक टाइमिंग, डायलॉग डिलीवरी और मासूम एक्सप्रेशन ने उन्हें दर्शकों के दिल में अमर कर दिया। ‘अंग्रेज़ों के ज़माने का जेलर’ से लेकर ‘छोटी सी बात’ के मासूम किरदार तक, असरानी ने यह साबित किया कि कॉमेडी सिर्फ हंसी नहीं, बल्कि एक कला है। असरानी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके किरदार, उनका अंदाज़ और उनकी हंसी हमेशा जीवित रहेगी।