‘गोकुल पंडित’ से लेकर कवि राणा तक: जानिए आशुतोष राणा की कहानी,
जिन्होंने कट्टे से थामा कलम और कला की दुनिया में रच दिया इतिहास
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता आशुतोष राणा आज अपना 58वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपने अभिनय, आवाज और तीखे संवादों से पहचान बनाने वाले आशुतोष अब तक 135 से ज्यादा फिल्मों और टीवी सीरियल्स में काम कर चुके हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टीवी से की थी, लेकिन जल्द ही फिल्मों में कदम रखा और अपने दमदार किरदारों से दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। हालांकि, उनकी जिंदगी का एक पहलू ऐसा भी है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, फिल्मों में आने से पहले आशुतोष राणा छात्र राजनीति के बड़े चेहरे हुआ करते थे, और कई बार उन्होंने ‘कट्टा’ तक लहराया था। मगर किस्मत ने करवट ली और राजनीति छोड़ उन्होंने कला की राह पकड़ी, जहां उन्होंने अभिनय और लेखन दोनों में इतिहास रच दिया।
छात्र राजनीति से फिल्मों तक का सफर
आशुतोष राणा का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर के पास स्थित गाडरवारा कस्बे में हुआ था। वहीं से उन्होंने अपनी स्कूलिंग पूरी की और फिर सागर विश्वविद्यालय से कॉलेज की पढ़ाई करने पहुंचे। पढ़ाई के साथ ही वे छात्र राजनीति में भी बेहद सक्रिय हो गए। विरोध प्रदर्शन, आंदोलन और विवादों में उनकी अग्रणी भूमिका रहती थी। उनकी पत्नी, एक्ट्रेस रेणुका शहाणे ने एक बार किस्सा सुनाया था“शादी से पहले ट्रेन में सफर के दौरान राणा जी के दोस्तों ने कॉलेज के दिनों की बातें छेड़ीं। तभी किसी ने कहा, ‘भइया, वो किस्सा सुनाइए जब आपने कट्टा लहराया था।’ ये सुनकर मेरा परिवार हैरान रह गया!” कॉलेज की राजनीति और जोश से भरे दिन खत्म हुए तो राणा जी ने अपने गुरु के कहने पर मुंबई का रुख किया, और यहीं से उनकी असली उड़ान शुरू हुई।
टीवी से शुरू हुई अभिनय की यात्रा
मुंबई पहुंचकर आशुतोष ने टीवी इंडस्ट्री में कदम रखा और छोटे-छोटे किरदारों से अपनी पहचान बनानी शुरू की। लगातार मेहनत और समर्पण के दम पर उन्होंने कई टीवी सीरियल्स में काम किया और धीरे-धीरे फिल्मों की ओर बढ़े। साल 1998 में आई फिल्म ‘दुश्मन’ ने उन्हें रातोंरात प्रसिद्ध कर दिया। फिल्म में उनके निभाए गोकुल पंडित के किरदार ने दर्शकों की रूहें कंपा दीं। इस निगेटिव रोल ने उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे खौफनाक और यादगार विलेन में शुमार कर दिया। इसके बाद उन्होंने ‘संघर्ष’, ‘ज़ख्म’, ‘राज’, ‘हमको दीवाना कर गए’ जैसी फिल्मों में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि साउथ सिनेमा में भी उन्होंने अपनी अभिनय की गहरी छाप छोड़ी।
एक्टर ही नहीं, जबरदस्त थियेटर आर्टिस्ट और लेखक भी
आशुतोष राणा सिर्फ कैमरे के सामने नहीं, बल्कि स्टेज पर भी उतने ही दमदार कलाकार हैं। दिल्ली में हुए एक नाटक में उन्होंने रावण का किरदार निभाया था, जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए। उनकी आवाज़, उच्चारण और भाषा पर पकड़ इतनी मजबूत है कि थिएटर के दर्शक आज भी उन्हें ‘संवेदना का अभिनेता’ कहते हैं। लेकिन राणा सिर्फ अभिनेता नहीं, शब्दों के जादूगर भी हैं। वे कई कविताओं और पुस्तकों के लेखक हैं। उनकी चर्चित कविता ‘भारत के राम जागो, मैं तुम्हें जगाने आया हूं’ आज भी युवाओं में जोश भर देती है। खास बात यह है कि वे अक्सर अपने मोबाइल फोन पर ही कविताएं और लेख लिखते हैं, जो उनकी रचनात्मकता की मिसाल है।
फैंस ने दी जन्मदिन की बधाई
आज जब आशुतोष राणा अपना 58वां जन्मदिन मना रहे हैं, सोशल मीडिया पर फैंस और फिल्म इंडस्ट्री के लोग उनके लिए शुभकामनाओं की बाढ़ लेकर आए हैं। उनकी कला, सादगी और गहराई भरे किरदारों ने उन्हें उस मुकाम पर पहुंचाया है, जहां हर संवाद उनकी पहचान बन चुका है।