परेश रावल ने खोला फिल्म अवॉर्ड्स का सच: कहा, ‘लॉबिंग सिर्फ भारत में नहीं,
ऑस्कर में भी होती है’
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
बॉलीवुड के मशहूर और बेबाक एक्टर परेश रावल ने हाल ही में फिल्म अवॉर्ड्स और उनकी विश्वसनीयता पर खुलकर बात की। उन्होंने नेशनल और अन्य फिल्म अवॉर्ड्स में होने वाली लॉबिंग के विषय पर अपने विचार साझा किए और यह भी कहा कि ऑस्कर अवॉर्ड्स भी इससे पूरी तरह मुक्त नहीं हैं। परेश रावल ने स्पष्ट किया कि उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ ट्रॉफी या टाइटल्स नहीं, बल्कि वास्तविक पहचान और उनके काम की सराहना है।
नेशनल और अन्य अवॉर्ड्स की सच्चाई राज शमानी के साथ बातचीत में परेश रावल ने कहा कि प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स भी हमेशा निष्पक्ष नहीं होते। उन्होंने बताया, "अवार्ड तो मुझे पता ही नहीं है। नेशनल अवॉर्ड में थोड़ा बहुत (लॉबिंग) जरूर होता होगा, लेकिन उतना नहीं जितना बाकी अवॉर्ड्स में। बाकी अवॉर्ड की बात करो या न करो, कोई फर्क नहीं पड़ता। नेशनल अवॉर्ड तो नेशनल अवॉर्ड है, प्रतिष्ठित है।" उन्होंने साफ किया कि भले ही नेशनल अवॉर्ड में कुछ लॉबिंग होती हो, फिर भी इसकी प्रतिष्ठा अलग है।
ऑस्कर में भी होती है लॉबिंग परेश रावल ने आगे बताया कि यह प्रक्रिया केवल भारत तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, "लॉबिंग तो ऑस्कर अवॉर्ड्स में भी होती है। यह अक्सर इन्फ्लुएंस और नेटवर्किंग से चलती है। अकादमी के सभी मेंबर को व्हिप अप किया जाता है कि इस फिल्म को वोट करें।" उनके मुताबिक, दुनिया के सबसे बड़े फिल्म अवॉर्ड्स भी पूरी तरह निष्पक्ष नहीं हैं।
असली अवॉर्ड उन्हें मिलती है काम से परेश रावल ने कहा कि उनके लिए असली पहचान क्रिएटिव सहयोगियों से मिलती है, जिनकी राय और समर्थन उनका सम्मान है। उन्होंने बताया, "अवार्ड खुद में फ्रेटरनिटी की तरफ से मान्यता है। लेकिन मेरे लिए फ्रेटरनिटी कौन रिप्रेजेंट करता है? डायरेक्टर। जब डायरेक्टर कहते हैं कट, और राइटर कहते हैं कि वह मेरे काम से खुश हैं, तभी मेरा असली अवॉर्ड मिल जाता है।" उनके अनुसार, ट्रॉफी या टाइटल से ज्यादा संतोष वास्तविक सराहना में है।
तारीफ से मिलती है असली संतुष्टि परेश रावल ने यह भी कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा खुशी डायरेक्टर और राइटर की तारीफ से मिलती है। उन्होंने कहा, "जब मेरे डायरेक्टर और राइटर कहते हैं, ‘अरे परेश रावल, बेहतरीन’, और मेरे लिए महत्वपूर्ण कुछ लोग भी यही कहें, तो समझो सोने पर सुहागा हो गया।" उनके लिए यह सबसे बड़ी सफलता और संतुष्टि है, जो किसी अवॉर्ड से नहीं मिल सकती। परेश रावल की यह बेबाक राय फिल्म इंडस्ट्री में अवार्ड्स और लॉबिंग की सच्चाई पर नई बहस को जन्म दे सकती है, साथ ही यह बताती है कि सच्चा कलाकार हमेशा काम की गुणवत्ता और सहयोगियों की सराहना को सबसे ऊपर रखता है।