आर्थिक मुश्किलों को हराकर 20 साल की उम्र में बनीं DSP,
चित्रा कुमारी की प्रेरणादायक कहानी
1 months ago
Written By: अनिकेत प्रजापति
बक्सर, बिहार की रहने वाली चित्रा कुमारी आज उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं, जो बड़ी परीक्षाओं की तैयारी तो करना चाहते हैं लेकिन आर्थिक मजबूरियों से जूझते हैं। चित्रा ने यह साबित कर दिया कि हालात चाहे कितने भी कठिन हों, अगर इरादा मजबूत हो तो सफलता को हासिल करना नामुमकिन नहीं होता। गरीबी, संघर्ष और मुश्किल परिस्थितियों को पीछे छोड़कर सिर्फ 20 साल की उम्र में BPSC परीक्षा पास कर DSP बन जाना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। उनकी कहानी उन सभी छात्रों के लिए उम्मीद की किरण है जो बिना कोचिंग और कम साधनों में भी बड़े सपनों को पूरा करना चाहते हैं।
बचपन से ही हालातों से लड़ने की सीख
चित्रा एक साधारण परिवार से आती हैं जहां रोजमर्रा का खर्च चलाना भी मुश्किल रहा है। उनकी आंखों में अधिकारी बनने का सपना था, लेकिन कोचिंग जैसी सुविधाओं के लिए घर में पैसे नहीं थे। बावजूद इसके उन्होंने आर्थिक स्थिति को कमजोरी नहीं बनने दिया। शुरू से ही उन्होंने पढ़ाई के प्रति अपनी लगन और जज्बे को बनाए रखा।
पिता की नौकरी जाने से बिगड़ी परिवार की स्थिति
साल 2008 में उनके पिता सुरेश प्रसाद की बैंक की नौकरी चली गई। इसके बाद परिवार के सामने बड़ी आर्थिक चुनौती खड़ी हो गई। घर चलाना मुश्किल हो चुका था, लेकिन पिता ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने खेती-किसानी के साथ-साथ अपनी जमीन बेच दी और उस रकम को बैंक में जमा कर दिया। ब्याज से मिलने वाली छोटी-छोटी राशियों से बच्चों की पढ़ाई जारी रखी।
बिना कोचिंग की तैयारी में दिखाई अद्भुत लगन
BPSC जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा की तैयारी आमतौर पर महंगी कोचिंग के बिना कठिन मानी जाती है, लेकिन चित्रा ने बिना एक भी कोचिंग क्लास लिए पढ़ाई की। उन्होंने खुद से मेहनत करते हुए परीक्षा की तैयारी की और साबित कर दिया कि दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास हो तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं।
पहली ही कोशिश में हासिल की बड़ी सफलता
बिना कोचिंग, बिना किसी विशेष सुविधा और कठिन आर्थिक परिस्थिति के बावजूद चित्रा ने BPSC CCE परीक्षा में अपनी पहली ही कोशिश में 67वीं रैंक हासिल की। इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि बेहद बड़ी मानी जाती है। इस रैंक के साथ उन्हें डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) का पद मिला। उनकी सफलता लाखों युवाओं को यह संदेश देती है कि परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, सपने तभी पूरे होते हैं जब इरादे मजबूत हों।