बिहार की बेटियों के लिए प्रेरणा:
डॉ. रश्मि सुधीर ने संघर्ष, मेहनत और लगन से गढ़ी सफलता की अनोखी कहानी
1 months ago Written By: Aniket prajapati
बिहार से निकलकर देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाली डॉ. रश्मि सुधीर की कहानी प्रेरणा का ऐसा स्रोत है, जो बताता है कि कठिन हालात भी बड़े सपनों को रोक नहीं सकते। महज 15 साल की उम्र में उन्होंने 10वीं बोर्ड में पूरे बिहार में दूसरा स्थान हासिल किया और परिवार का नाम रोशन कर दिया। इसी सफलता ने उन्हें आगे बढ़ने का साहस दिया, लेकिन मंज़िल आसान नहीं थी। मेडिकल में चयन के तुरंत बाद उनकी मां का निधन हो गया, जिसने उन्हें भीतर तक तोड़ दिया। फिर भी रश्मि ने मां के सपने को अपना लक्ष्य बना लिया और रुकने से इनकार कर दिया।
17 साल में CMC वेल्लोर में ओपन मेरिट से मिली MBBS सीट
रश्मि सुधीर ने 12वीं के बाद मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास की और 17 साल की उम्र में ओपन मेरिट से क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर में MBBS की सीट हासिल की। इस प्रतिष्ठित कॉलेज में देशभर के टॉपर एडमिशन के लिए कोशिश करते हैं, लेकिन बिहार की इस बेटी ने साबित किया कि सच्ची मेहनत हर बाधा को पार कर देती है।
22 साल में MBBS पूरा, शादी और फिर करियर ब्रेक
रश्मि ने 22 साल में MBBS पूरा किया और जल्द ही उनकी शादी हो गई। 25 साल की उम्र में पहला बच्चा हुआ, जिसके बाद उन्होंने कुछ समय के लिए करियर से ब्रेक लिया। लेकिन ब्रेक ने उनके संकल्प को कमजोर नहीं किया। उन्होंने रेडियोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और ब्रेस्ट इमेजिंग में अपनी विशेषज्ञता बनाई।
रिसर्च, किताबें, इंटरनेशनल पहचान और बड़ी उपलब्धियां
डॉ. रश्मि ने एक किताब लिखी और 25 से ज्यादा हाई-इम्पैक्ट रिसर्च पेपर प्रकाशित किए। उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में बतौर स्पीकर बुलाया जाने लगा। ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोसिस और स्कार-फ्री सर्जरी में उन्होंने अहम योगदान दिया। इसके साथ ही उन्होंने लंदन से FRCR डिग्री पूरी की और 40 साल के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से फेलोशिप हासिल की।
फिटनेस और परिवार के साथ संतुलन
दूसरे बच्चे के जन्म के बाद भी उनका काम और फिटनेस दोनों साथ चले। वह रोज 10,000 कदम चलती हैं और हाफ मैराथन में पोडियम फिनिश तक हासिल कर चुकी हैं।
आज कहां हैं डॉ. रश्मि सुधीर?
आज डॉ. रश्मि सुधीर हैदराबाद की सबसे बेहतरीन ब्रेस्ट रेडियोलॉजिस्ट में शामिल हैं। उनका बड़ा बच्चा विदेश की शीर्ष यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस और AI की पढ़ाई कर रहा है।उन्होंने दिखाया कि जिम्मेदारियां, करियर ब्रेक और कठिनाइयों के बावजूद अगर इरादा मजबूत हो तो सफलता किसी भी उम्र में हासिल की जा सकती है।