कर्नाटक में जाति सर्वेक्षण, नारायण-मूर्ति दंपति ने भाग लेने से किया इनकार,
राज्य में मची हलचल
9 days ago Written By: Aniket Prajapati
कर्नाटक में चल रहे सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण, यानी जाति जनगणना में भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी, मशहूर लेखिका सुधा मूर्ति ने हिस्सा लेने से साफ़ इनकार कर दिया है। इस फैसले के बाद राज्य में हलचल मची हुई है और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
नारायण-मूर्ति दंपति का पत्र और वजह नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति ने कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को एक स्व-सत्यापित पत्र प्रस्तुत किया है। इस पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया कि वे व्यक्तिगत कारणों से इस सर्वेक्षण में भाग नहीं लेंगे। उन्होंने लिखा, "हम और हमारा परिवार जनगणना में भाग नहीं लेंगे और हम इस पत्र के माध्यम से इसकी पुष्टि कर रहे हैं।" इसके अलावा उन्होंने कहा कि वे किसी पिछड़ी जाति से संबंधित नहीं हैं और सर्वेक्षण में उनकी भागीदारी सरकार के लिए किसी काम की नहीं होगी। नारायण मूर्ति ने साफ़ शब्दों में कहा, "इसलिए, हम इसमें भाग नहीं ले रहे हैं।"
डीके शिवकुमार ने किया सहयोग वहीं, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने अपने परिवार के साथ सर्वेक्षण में भाग लिया। गणनाकर्ताओं ने उनके घर पर धर्म, जाति और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के संबंध में प्रश्न पूछे, जिनका शिवकुमार ने धैर्यपूर्वक उत्तर दिया। हालांकि, सवालों की लंबी श्रृंखला से चिढ़कर उन्होंने कथित तौर पर कहा, "आप सिर्फ सवाल पूछने में इतना समय क्यों लगा रहे हैं? बहुत ज्यादा सवाल कर रहे हैं।"
व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग वरिष्ठ अधिवक्ता बीवी आचार्य ने हाल ही में आगाह किया कि जाति जनगणना में भाग न लेना ही बेहतर है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस प्रक्रिया में शामिल होने पर व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग का खतरा बढ़ जाता है। राज्य सरकार ने सर्वेक्षण की समय सीमा बढ़ाते हुए इसे 12 अक्टूबर तक पूरे राज्य में और बेंगलुरु में 24 अक्टूबर तक करने का निर्णय लिया है। पहले 7 अक्टूबर की समय सीमा अधूरे आंकड़ों के कारण पूरी नहीं हो पाई थी।
जाति सर्वेक्षण की स्थिति और विस्तार कर्नाटक में चल रहे इस जाति सर्वेक्षण को आसानी से पूरा करने के लिए स्कूलों के समय में बदलाव किया गया है। सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक संचालित होंगे। साथ ही कुछ दशहरा की छुट्टियों को भी बढ़ाया गया है। अक्टूबर 2025 की शुरुआत तक लगभग 83 प्रतिशत परिवारों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया है, जिसमें राज्य के कुल 1.43 करोड़ परिवारों में से 1.22 करोड़ परिवारों की गणना पूरी की गई है।