आज निकल सकता है अमेरिकी टैरिफ का हल…
व्यापार वार्ता करने दिल्ली पहुंचा अमेरिकी व्यापारी दल
3 days ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
अमेरिका की ओर से भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद लंबे समय से अटकी पड़ी व्यापार वार्ता एक बार फिर शुरू होने जा रही है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय दल दिल्ली पहुंच चुका है और मंगलवार को भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत करेगा।
पहले टली थी छठे दौर की बैठक बताते चलें कि, भारत और अमेरिका के बीच अब तक पांच दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। छठे दौर की बातचीत 25 से 29 अगस्त के बीच प्रस्तावित थी, लेकिन अमेरिका द्वारा भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था। अब दोनों पक्ष फिर से मेज पर लौटे हैं।
भारत की ओर से राजेश अग्रवाल करेंगे नेतृत्व बता दें कि भारत की तरफ से वाणिज्य मंत्रालय के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्तरों पर बातचीत जारी है और अब अमेरिकी दल के भारत पहुंचने के बाद आगे की दिशा तय होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह औपचारिक वार्ता का दौर नहीं है, बल्कि समझौते की संभावनाओं को तलाशने की कोशिश होगी।
टैरिफ से बढ़ी निर्यातकों की परेशानी आपको बताते चलें कि अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ का असर भारतीय निर्यातकों पर साफ दिख रहा है। कई अमेरिकी आयातकों ने भारत से दिए गए ऑर्डर रद्द कर दिए हैं। खबर यह भी है कि सरकार नकदी संकट से जूझ रहे निर्यातकों के लिए राहत पैकेज पर विचार कर रही है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर सकारात्मक रुख अपनाया गया है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के दौरे से दोनों देशों के बीच आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।
घटा भारत का निर्यात रॉयटर्स के मुताबिक अगस्त में भारत का अमेरिका को निर्यात जुलाई के 8.01 अरब डॉलर से घटकर 6.86 अरब डॉलर रह गया। कुल वस्तु निर्यात भी 37.24 अरब डॉलर से घटकर 35.10 अरब डॉलर पर आ गया, जो नौ महीने का निचला स्तर है। वहीं व्यापार घाटा घटकर 26.49 अरब डॉलर दर्ज किया गया।
वित्त मंत्री और RBI से मुलाकात दरअसल निर्यातकों ने हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा से मुलाकात की और कई तरह की राहत उपायों की मांग रखी। इनमें आसान ऋण भुगतान शर्तों से लेकर नए बाजारों में पहुंच बनाने के लिए वित्तीय सहायता तक शामिल है। उनका कहना है कि व्यापार समझौते में देरी का सीधा मतलब अमेरिकी बाजार का स्थायी नुकसान होगा।