नेपाल के बाद अब फ्रांस में भी सरकार विरोधी बगावत,
ब्लॉक एवरीथिंग आंदोलन से सड़कों पर उबाल, मैक्रों पर इस्तीफे का दबाव
9 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
नेपाल के बाद अब फ्रांस की सियासत भी भट्टी पर चढ़ चुकी है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार के खिलाफ बुधवार को देशभर में 'ब्लॉक एवरीथिंग' (सब कुछ रोक दो) आंदोलन के तहत लाखों लोग सड़कों पर उतर आए। बजट में कटौती, नौकरी संकट, कम वेतन और अस्थिर सरकार को लेकर प्रदर्शनकारियों का गुस्सा उबाल पर है। कई शहरों में झड़पें, आगजनी, रोड ब्लॉक और पुलिस पर हमले की घटनाएं सामने आईं हैं।
1 लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर, 300 गिरफ्तार
फ्रांस में 30 से ज्यादा जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। पेरिस, मार्सेय, रेन और लियॉन जैसे बड़े शहरों में एक लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर उतर आए। पेरिस पुलिस ने बताया कि अब तक 300 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 171 केवल पेरिस में। सरकार ने हालात काबू में रखने के लिए 80,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए हैं।
बसें जलाईं, ट्रेनें रोकीं, रेलवे स्टेशन पर हंगामा
यहां प्रदर्सन के दौरान रेन शहर में प्रदर्शनकारियों ने एक बस को आग लगा दी, जबकि दक्षिण-पश्चिमी इलाके में बिजली लाइन काटे जाने से ट्रेन सेवाएं ठप हो गईं। वहीं पेरिस के गारे दु नॉर्ड रेलवे स्टेशन पर करीब 1,000 प्रदर्शनकारियों ने घुसने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने आंसू गैस और बल प्रयोग से नाकाम कर दिया।
प्रदर्शन की 4 बड़ी वजहें
- मैक्रों की नीतियों से नाराजगी: जनता का आरोप है कि मैक्रों की आर्थिक नीतियां अमीरों के पक्ष में हैं और आम लोगों के हितों के खिलाफ।
- बजट में कटौती: सरकार ने 44 अरब यूरो (4 लाख करोड़ रुपये) की कटौती की है, जिससे पेंशन, वेतन और सामाजिक योजनाओं पर असर पड़ा है।
- राजनीतिक अस्थिरता: पिछले दो साल में पांच प्रधानमंत्री बदल चुके हैं। लोग मानते हैं कि सरकार अंदरूनी अस्थिरता का शिकार है।
- ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन: वामपंथी दलों और यूनियनों ने देश ठप करने का ऐलान कर सरकार को झुकाने की रणनीति बनाई है।
नया पीएम, पुराना गुस्सा
इस उबाल के बीच फ्रांस के नए प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने पदभार संभाल लिया है। वह पिछले एक साल में चौथे पीएम बने हैं, लेकिन प्रदर्शनकारियों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। लेफ्ट पार्टियों ने साफ कहा है कि, "जब तक राष्ट्रपति मैक्रों की नीतियां खत्म नहीं होतीं, सड़क पर हमारी लड़ाई जारी रहेगी।"
पुलिस-प्रदर्शनकारी आमने-सामने
पेरिस, मार्सेय और लियॉन में 105 आगजनी की घटनाएं दर्ज हुईं। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर बैरिकेड लगाए, जबकि पुलिस ने आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। चार सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं, लेकिन सरकार का दावा है कि स्थिति काबू में है।
मैक्रों पर इस्तीफे का दबाव
वामपंथी नेता जां-ल्यूक मेलेंशों और ट्रेड यूनियनों ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। यूनियन के नेता अमार लाघा का कहना है, "10 साल की नौकरी के बाद भी हमें 1,600 यूरो नेट वेतन नहीं मिलता, ये नीतियां हमें सड़क पर धकेल रही हैं।"