समय रहते नहीं दाखिल कर पाए ITR…
इस विकल्प से बच सकता है मोटा फाइन
2 days ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
अगर आप इस साल 16 सितंबर 2025 तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए हैं, तो आपके लिए राहत की बात है कि आयकर विभाग ने इसके लिए एक और विकल्प दिया है। इसे Belated ITR कहा जाता है। यह सुविधा उन करदाताओं के लिए होती है, जो किसी कारणवश समय पर रिटर्न फाइल नहीं कर पाते। हालांकि इसमें कुछ अतिरिक्त शर्तें और नुकसान भी होते हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है।
Belated ITR क्या होता है ? आयकर कानून में साफ तौर पर कहा गया है कि यदि कोई करदाता तय समयसीमा यानी ड्यू डेट के बाद रिटर्न दाखिल करता है, तो उसे Belated Return कहा जाएगा। इसे आयकर अधिनियम की धारा 139(4) के तहत फाइल किया जाता है। असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए Belated ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2025 तय की गई है। यानी जिन लोगों से 16 सितंबर तक रिटर्न नहीं भरा गया, वे अभी भी इस समयसीमा के भीतर अपनी फाइलिंग कर सकते हैं।
Belated ITR पर लगने वाली लेट फीस समय पर रिटर्न न भरने और Belated ITR दाखिल करने पर करदाता को जुर्माना देना पड़ता है। आयकर अधिनियम की धारा 234F के तहत लेट फीस वसूली जाती है। अगर आपकी सालाना आय ₹5 लाख रुपये से अधिक है तो आपको ₹5,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा। वहीं जिनकी सालाना आय ₹5 लाख रुपये से कम है, उन्हें सिर्फ ₹1,000 रुपये बतौर लेट फीस देनी होगी। यानी Belated ITR फाइल करना पूरी तरह मुफ्त नहीं है।
Belated ITR फाइल करने की प्रक्रिया Belated ITR दाखिल करने के लिए आपको इनकम टैक्स विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर लॉगिन करना होगा। इसके बाद e-File सेक्शन में जाकर Income Tax Return का विकल्प चुनना होगा। यहां आपको Assessment Year 2025-26 सेलेक्ट करना है और ऑनलाइन फाइलिंग की सुविधा का चुनाव करना है। इसके बाद आप एक नई फाइलिंग शुरू करेंगे और अपनी कैटेगरी जैसे Individual या HUF चुनेंगे। इसके बाद सही ITR फॉर्म का चयन करना होगा, जैसे ITR-1 या ITR-2। फाइलिंग सेक्शन में आपको धारा 139(4) यानी Belated Return चुनना है और अपनी आय, कटौतियों और टैक्स भुगतान की जानकारी भरनी है। सभी डिटेल्स भरने के बाद फाइलिंग पूरी की जा सकती है।
Belated ITR के नुकसान Belated ITR भले ही एक विकल्प है, लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं। सबसे बड़ा नुकसान यह है कि Belated ITR दाखिल करने के बाद आप अपने नुकसान को अगले सालों में Carry Forward नहीं कर सकते। इससे भविष्य में टैक्स बचत के अवसर कम हो जाते हैं। इसके अलावा, समय पर फाइल करने वाले करदाताओं को कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ता, लेकिन Belated ITR फाइल करने पर लेट फीस देनी ही होगी।