पत्नी ने लगाए नपुंसकता के आरोप…तो नहीं कर सकते मानहानि का दावा..!
संवेदनशील मामले पर कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला…
2 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
पति-पत्नी के रिश्तों में जब दरारें इतनी गहरी हो जाएं कि बात तलाक तक पहुंच जाए, तो क्या दोनों पक्षों को खुलकर अपनी बातें रखने का अधिकार है ? बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में जो निर्णय दिया, वह इसी सवाल का कानूनी जवाब है और बेहद अहम भी। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर एक पत्नी अपने पति को 'नपुंसक' कहती है और ये बात उसकी तलाक की अर्जी या एफआईआर का हिस्सा है, तो इसे बदनामी नहीं माना जा सकता।
क्या था मामला ?
दरअसल एक महिला ने तलाक की अर्जी डालते हुए आरोप लगाया कि उसका पति शारीरिक संबंध बनाने में असमर्थ है। उसने FIR में भी यही बात कही और दावा किया कि इसी कारण उसे मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी। इस आरोप पर पति ने पलटवार किया और महिला, उसके भाई और पिता पर IPC की धारा 499 के तहत मानहानि का केस दर्ज करा दिया।
कोर्ट ने क्यों ठुकराया मानहानि का आरोप ?
जस्टिस श्रीराम मोडक की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी को अपने अनुभव और मानसिक पीड़ा को अदालत में रखने का पूरा हक है। ऐसा करना मानहानि नहीं बल्कि अपनी 'कानूनी रक्षा' है। कोर्ट ने माना कि किसी की यौन अक्षमता जैसे विषय को उठाना सामाजिक रूप से संवेदनशील जरूर है, लेकिन यदि यह वैवाहिक जीवन में परेशानी की वजह है, तो उसका उल्लेख करना गलत नहीं।
‘नपुंसक’ कहना अपमान नहीं – कानूनी नजरिया
कोर्ट ने कहा कि समाज में 'नपुंसक' शब्द को अपमानजनक समझा जाता है, लेकिन कानून इसकी व्याख्या व्यक्तिगत दुश्मनी की बजाय तथ्यों के संदर्भ में करता है। जब पत्नी ने यह बात कही, तो वह अपने वैवाहिक अनुभव और मानसिक पीड़ा का वर्णन कर रही थी, न कि पति को नीचा दिखाने के लिए कोई झूठा आरोप गढ़ रही थी।
आईपीसी की धारा 499 और अपवाद
भारतीय दंड संहिता की धारा 499 में मानहानि की परिभाषा दी गई है, लेकिन इसके अंतर्गत कुछ अपवाद भी हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला Exception 9 के अंतर्गत आता है, जो कहता है कि अगर कोई व्यक्ति ईमानदारी से अपनी रक्षा के लिए कोई बात कहता है, तो वह मानहानि नहीं मानी जाती।
कानूनी प्रक्रिया की पूरी कहानी
पति ने पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट में पत्नी और उसके परिवार पर मानहानि की शिकायत की, लेकिन अप्रैल 2023 में कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वह सेशंस कोर्ट गया, जहां से दोबारा जांच का आदेश मिला। इसके खिलाफ महिला और उसके परिवार ने हाईकोर्ट का रुख किया और अब हाईकोर्ट ने अंतिम रूप से फैसला देते हुए पति की मानहानि याचिका को खारिज कर दिया।