अगर कबूतरों को खिलाया दाना…तो खानी पड़ सकती है जेल की हवा
…बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला…
2 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
मुंबई के सार्वजनिक स्थलों पर अब कबूतरों को दाना डालना लोगों को महंगा पड़ सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस गतिविधि को 'सार्वजनिक उपद्रव' करार देते हुए इसे सीधे तौर पर स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया है। न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने इस मामले में मुंबई महानगरपालिका (BMC) को निर्देश दिया है कि जो भी लोग सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना डालते हैं, उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाए।
स्वास्थ्य संकट का कारण बनते हैं कबूतर
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की। याचिका पल्लवी पाटिल, स्नेहा विसरारिया और सविता महाजन की ओर से दायर की गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा जन स्वास्थ्य से सीधा जुड़ा है, और इससे सभी उम्र के लोगों को सांस संबंधी बीमारियों का खतरा हो सकता है। इसी कारण अदालत ने इसे एक गंभीर सामाजिक समस्या बताया।
कबूतरखानों पर भी चलेगा BMC का डंडा
अदालत ने BMC को शहर के कबूतरखानों में कबूतरों की भीड़ को रोकने और इस पर सख्त नियंत्रण लागू करने का निर्देश दिया है। इससे पहले, 3 जुलाई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने बीएमसी को कहा था कि ऐतिहासिक कबूतरखानों को न तोड़ा जाए, लेकिन वहां दाना डालने की अनुमति भी न दी जाए।
दादर सहित कई कबूतरखाने हुए बंद
अदालत की सख्ती के बाद, दादर का प्रसिद्ध कबूतरखाना बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही सांताक्रूज पूर्व, दौलत नगर और सांताक्रूज पश्चिम में मौजूद अनधिकृत कबूतरखानों को भी बंद कर दिया गया है। आंकड़ों के मुताबिक, मुंबई में कुल 51 कबूतरखाने मौजूद हैं, जहां कबूतरों को दाना खिलाया जाता था।
महाराष्ट्र सरकार ने जताई थी चिंता
इससे पहले इसी महीने महाराष्ट्र सरकार ने भी BMC को आदेश दिया था कि कबूतरखानों को तत्काल बंद किया जाए। सरकार ने स्पष्ट किया था कि कबूतरों की बीट और पंखों से निकलने वाले तत्व लोगों में सांस की बीमारियों का प्रमुख कारण बन रहे हैं। इसके चलते न केवल आसपास के निवासियों की सेहत खतरे में है, बल्कि यह शहरी स्वच्छता और पर्यावरण के लिए भी खतरा बनता जा रहा है। अब देखना यह है कि हाईकोर्ट के इस कड़े रुख और BMC की संभावित कार्रवाई के बाद मुंबई में कबूतरों को दाना डालने की परंपरा कितनी लंबी चल पाती है।