अगर ChatGPT से करते हैं निजी बातें तो हो जाइए सावधान,
OpenAI के CEO ने दे डाली बड़ी चेतावनी…
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
अगर आप ChatGPT से दिल खोल कर अपनी निजी बातें करते हैं, उसे अपना थैरेपिस्ट, वकील या दोस्त मानते हैं, तो अब आपको सतर्क हो जाना चाहिए। यह कोई अफवाह नहीं बल्कि खुद OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन की चेतावनी है, जिन्होंने साफ-साफ कहा है कि फिलहाल AI किसी भी यूज़र की प्राइवेसी की जिम्मेदारी उठाने के लायक नहीं है। ऐसे में ChatGPT को अपनी जिंदगी की संवेदनशील बातें बताना आपके लिए जोखिम भरा हो सकता है।
क्या कहा सैम ऑल्टमैन ने ?
कॉमेडियन थियो वॉन के शो This Past Weekend में दिए गए इंटरव्यू में सैम ऑल्टमैन ने चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में लोग खासतौर पर युवा, ChatGPT को लाइफ कोच, रिलेशनशिप एक्सपर्ट या थैरेपिस्ट के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। वे अपनी जिंदगी की सबसे पर्सनल बातें बिना झिझक AI के साथ शेयर कर रहे हैं, जबकि ऐसा करना सुरक्षित नहीं है। ऑल्टमैन ने कहा, “अगर आप किसी थैरेपिस्ट या वकील से कोई बात करते हैं, तो वो कानूनी रूप से गोपनीय मानी जाती है, लेकिन ChatGPT के साथ ऐसा नहीं है। फिलहाल हमारे पास इस तरह की प्राइवेसी को सुरक्षित रखने का कोई पुख्ता समाधान नहीं है।”
प्राइवेसी की कोई कानूनी गारंटी नहीं
सैम ऑल्टमैन की इस चेतावनी का सबसे अहम पहलू यही है कि अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में अभी तक AI को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं है। अमेरिका के कुछ राज्यों में भले ही प्राइवेसी को लेकर नियम-कायदे हों, लेकिन जब बात एआई पर आती है, तो वहां की कानूनी भाषा आज भी खामोश है। यानी आपकी निजी जानकारी किस हद तक सुरक्षित है, इसका कोई भरोसा नहीं।
ChatGPT स्टोर कर रहा है आपकी बातें
एक और बड़ा मुद्दा यह है कि ChatGPT आपकी चैट्स को स्टोर करता है, खासकर वो चैट्स जिन्हें आप खुद सेव करते हैं। इसकी एक बड़ी वजह The New York Times के साथ चल रहा कोर्ट केस है, जिसमें अदालत ने OpenAI को चैट्स को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं। भले ही OpenAI इस फैसले को चुनौती दे रही है, लेकिन तब तक यूज़र डाटा का स्टोर होना अनिवार्य है।
क्या करें यूज़र ?
अगर कंपनी का सीईओ ही ये कह रहा है कि ChatGPT से निजी या संवेदनशील बातें करना सुरक्षित नहीं है, तो यूज़र्स को अपनी आदतों में बदलाव लाना चाहिए। ChatGPT को एक मददगार टूल की तरह देखें, न कि निजी काउंसलर के रूप में। जब तक AI को लेकर कोई ठोस कानून नहीं बनते और डेटा प्राइवेसी की गारंटी नहीं मिलती, तब तक सावधानी ही सबसे समझदारी है।