अमेरिका में भारतीयों के साथ जानवरों जैसा बर्ताव,
40 घंटे तक हाथ पैर में जंजीरें, भारत सरकार ने क्यों साधी चुप्पी
2 months ago
Written By: Sushant Pratap Singh
5 फरवरी 2025—अमेरिका का विशाल सैन्य विमान C-17 Globemaster जब पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा, तो उसमें 104 भारतीय नागरिक थे, जिन्हें United States ने डिपोर्ट कर दिया था। इनमें से कई लोगों ने लाखों रुपये खर्च कर अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश किया था, लेकिन अब वे सब निराशा और दर्द के साथ अपने देश लौट चुके थे।
इनमें से ही एक थे हरविंदर सिंह, जिन्होंने अमेरिका पहुंचने के लिए अपनी पूरी जमीन गिरवी रख दी, कर्ज लिया और एजेंट्स को लाखों रुपये दिए। लेकिन उन्हें जो मिला, वो सिर्फ यातना और अपमान था।
40 घंटे की अमानवीय यातना: हथकड़ियों में जंजीर से बंधे भारतीय
हरविंदर सिंह ने मीडिया को बताया कि उन्हें 40 घंटे तक हथकड़ी में रखा गया, उनके पैरों में जंजीरें थीं। जब उन्होंने टॉयलेट जाने की गुजारिश की, तो अमेरिकी क्रू मेंबर्स ने दरवाजा खोलकर उन्हें धक्का दिया। खाना खाते वक्त भी उनकी हथकड़ियां नहीं खोली गईं। उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों से अनुरोध किया कि कुछ देर के लिए उन्हें आजाद किया जाए, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी।
डंकी रूट : अवैध प्रवास का खतरनाक सफर
हरविंदर की तरह ही सैकड़ों भारतीय हर साल डंकी रूट के जरिए अमेरिका, कनाडा और यूरोप जाने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है।
क्या होता है डंकी रूट?
- डंकी शब्द पंजाब के 'डुंकी' से लिया गया है, जिसका मतलब है ‘एक जगह से दूसरी जगह कूदना’।
- यह एक अवैध माइग्रेशन प्रोसेस है, जिसमें लोग वीजा के बिना जंगलों, नदियों और रेगिस्तानों से होकर अमेरिका, कनाडा और यूरोप में घुसने की कोशिश करते हैं।
- आमतौर पर यह सफर लैटिन अमेरिका के देशों (ब्राजील, इक्वाडोर, पनामा, मैक्सिको) से होकर अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर तक जाता है।
- कई बार इस रास्ते में मौत, लूट, रेप और अमानवीय यातनाओं का सामना करना पड़ता है।
भारत में बढ़ते अवैध अप्रवासन का कारण क्या है?
- गरीबी और बेरोजगारी : पंजाब, हरियाणा, गुजरात और यूपी के युवाओं के पास नौकरी नहीं है। उन्हें विदेशों में सुनहरे भविष्य का सपना दिखाया जाता है।
-सरकार की नाकामी : भारतीय सरकार न वैध रोजगार उपलब्ध करा पा रही है, न ही एजेंट्स के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई कर रही है।
-मानव तस्करों का जाल : अवैध माइग्रेशन से जुड़े दलाल लाखों रुपये वसूलते हैं। कई मामलों में तो परिवार की जमीन तक बिक जाती है, लेकिन बदले में मौत मिलती है।
डंकी रूट पर जाने के लिए कितने पैसे लगते हैं?
- आमतौर पर 30 लाख से 50 लाख रुपये।
- इसमें फर्जी वीजा, नकली डॉक्यूमेंट्स, बॉर्डर पार करने के लिए गाइड्स और दलालों को दी जाने वाली रिश्वत शामिल होती है।
- अमेरिका में घुसने के बाद भी हर हफ्ते नए पेपर बनवाने के नाम पर और पैसे वसूले जाते हैं।
हरविंदर सिंह की कहानी: अमेरिका जाने का सपना और कर्ज में डूबा परिवार
हरविंदर सिंह पंजाब के होशियारपुर जिले के ताहली गांव के रहने वाले हैं। उनके पास सिर्फ 1 एकड़ जमीन थी, जिसे उन्होंने गिरवी रख दिया। उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य के सपने देखे थे, लेकिन बदले में 40 घंटे की जंजीरों में जकड़ी अमानवीय यात्रा मिली।
अब उनके पास न नौकरी है, न पैसा और न ही जमी। उनकी पत्नी ने गांव के पंचायत में उस एजेंट के खिलाफ शिकायत दी, जिसने उन्हें धोखा दिया था। लेकिन सवाल उठता है—क्या सरकार ऐसे एजेंट्स के खिलाफ ठोस कदम उठाएगी?
क्या डिपोर्ट हुए लोग दोबारा अमेरिका जा सकते हैं?
- नहीं। अमेरिका की वीज़ा पॉलिसी के मुताबिक, जो भी व्यक्ति अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करता है और डिपोर्ट किया जाता है, उसे आजीवन वीजा नहीं दिया जाता।
-अमेरिका के साथ-साथ कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और 20 अन्य देशों में भी ये लोग अब कभी नहीं जा पाएंगे।
भारत सरकार की जिम्मेदारी: कब खत्म होगा डंकी रूट?
क्यों नहीं रोका जाता अवैध माइग्रेशन?
- सरकार आत्मनिर्भर भारत के दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।
- बेरोजगारी दर बढ़ रही है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं, और लोग अपनी जमीन बेचकर विदेश भाग रहे हैं।
- किसानों के लिए योजनाएं, शिक्षा में सुधार और नए स्टार्टअप को बढ़ावा देने की जरूरत है।
अवैध माइग्रेशन को कैसे रोका जा सकता है?
- मानव तस्करों के खिलाफ कड़ी सजा होनी चाहिए।
- अवैध माइग्रेशन रोकने के लिए लोगों को सही जानकारी और कानूनी विकल्प दिए जाने चाहिए।
- युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए जाने चाहिए, ताकि वे अपनी जान जोखिम में डालकर विदेश जाने के बारे में न सोचें।