आज ही के दिन कारगिल में भारतीय नौसेना ने दिखाया था अपना शौर्य,
ऑपरेशन सफेद सागर से मचाई थी तबाही
1 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
कारगिल युद्ध 1999, भारतीय सैन्य इतिहास का एक ऐसा अध्याय है, जिसने साबित कर दिया कि दुश्मन कितनी भी ऊँचाई पर बैठा हो, भारत की जांबाज़ सेनाएँ उसे पीछे धकेलने का माद्दा रखती हैं। इस युद्ध में भारतीय वायुसेना की भूमिका न केवल निर्णायक रही, बल्कि उसकी सटीकता, संयम और साहस ने युद्ध का रुख ही पलट दिया। आज से लगभग 25 वर्ष पहले आज ही के दिन यानि 26 जुलाई सन 1999 को "ऑपरेशन सफेद सागर" नाम से चलाया गया यह हवाई अभियान भारतीय वायुसेना का कारगिल क्षेत्र में पहला बड़ा युद्ध-ऑपरेशन था।
26 मई 1999: जब आकाश से बरसी थी आग
26 मई 1999 को भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर की शुरुआत की। इससे पहले तक भारतीय थल सेना दुर्गम पहाड़ियों में पाकिस्तानी घुसपैठियों से मोर्चा ले रही थी। जैसे ही दुश्मन की स्थिति स्पष्ट हुई, वायुसेना को बुलाया गया और उसने सीमित संसाधनों में बेहद मुश्किल मिशनों को अंजाम देना शुरू किया।
स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा का बलिदान
ऑपरेशन की शुरुआत में ही भारतीय वायुसेना को एक भावुक झटका लगा। मिग-21 उड़ा रहे स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा दुश्मन की मिसाइल का शिकार बने। विमान से इजेक्ट करने के बावजूद पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़कर अमानवीय तरीके से मार डाला। उनका बलिदान ऑपरेशन सफेद सागर की सबसे मार्मिक घटनाओं में दर्ज है।
40 दिनों तक चला एयर स्ट्राइक का सिलसिला
यह ऑपरेशन करीब 40 दिन तक चला, जिसमें भारतीय वायुसेना ने 500 से अधिक मिशन पूरे किए। इनमें दुश्मन के बंकरों, सप्लाई रूट्स और हथियार डिपो को नष्ट करने के लिए विशेष योजनाएं बनाई गईं। हर मिशन एक नई चुनौती थी, चाहे वो मौसम हो या भौगोलिक परिस्थितियाँ।
LOC पार न करने का आदेश: संयम का उदाहरण
भारत सरकार ने ऑपरेशन के दौरान वायुसेना को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी हालत में नियंत्रण रेखा (LOC) पार नहीं की जानी चाहिए, चाहे दुश्मन कितनी भी उकसावे वाली कार्रवाई क्यों न करे। यह एक रणनीतिक और कूटनीतिक निर्णय था, जिसने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
ऊंचाई और मौसम: एक और दुश्मन
कारगिल की 18,000 फीट से ऊँची चोटियाँ, बर्फ से ढकी वादियाँ और ऑक्सीजन की कमी ये सब वायुसेना के पायलटों के लिए दुश्मन से कम नहीं थे। फिर भी भारतीय पायलटों ने बहादुरी, धैर्य और सटीकता से हर मिशन को अंजाम दिया।
मिराज-2000: जिसने युद्ध की दिशा बदल दी
फ्रांस से खरीदे गए मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने इस ऑपरेशन में निर्णायक भूमिका निभाई। इन विमानों ने दुश्मन के बंकरों को pinpoint accuracy से निशाना बनाया। मिराज की सटीक बमबारी ने दुश्मन को बुरी तरह हिला दिया।
पहली बार लेजर गाइडेड बमों का उपयोग
इस ऑपरेशन में पहली बार भारतीय वायुसेना ने लेजर गाइडेड बमों का प्रयोग किया, जिन्हें इज़रायली तकनीक से अपग्रेड किया गया था। इन बमों की मारक क्षमता और सटीकता ने पाकिस्तान के बंकरों और रसद ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया।
युद्ध के बाद रणनीतिक बदलाव
ऑपरेशन सफेद सागर के अनुभवों से भारतीय वायुसेना ने अपने तकनीकी, रणनीतिक और खुफिया ढांचे में बड़े बदलाव किए। यही कारण है कि भविष्य में भारत ने मिराज के अपग्रेडेशन से लेकर राफेल जैसे उन्नत फाइटर जेट तक की खरीद सुनिश्चित की।
पाकिस्तान को हुआ था भारी नुकसान
ऑपरेशन सफेद सागर ने पाकिस्तान की कारगिल योजना की नींव हिला दी। भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक्स ने न केवल दुश्मन के कई ठिकाने तबाह किए, बल्कि उनकी सप्लाई लाइन भी पूरी तरह तोड़ दी, जिससे पाकिस्तान को भारी जन और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।