पैर नहीं छुए तो तीस से अधिक छात्रों की कर दी बेरहमी से पिटाई,
महिला टीचर हुई सस्पेंड
2 days ago Written By: आदित्य कुमार वर्मा
ओडिशा के मयूरभंज जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां एक सरकारी स्कूल की महिला टीचर ने सिर्फ इसलिए 31 बच्चों की बेरहमी से पिटाई कर दी क्योंकि उन्होंने सुबह की प्रार्थना सभा के बाद उनके पैर नहीं छुए। इस घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया है। मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी महिला टीचर को सस्पेंड कर दिया।
बाईसिंगा के स्कूल में घटी घटना यह पूरा मामला मयूरभंज जिले के बाईसिंगा थाना क्षेत्र के खांडदेउला सरकारी अपर प्राइमरी स्कूल का है। यहां की सहायक शिक्षिका सुकांति कर ने क्लास 6 से 8 तक के बच्चों को बांस की छड़ी से पीटा। आरोप है कि उन्होंने बच्चों को लाइन में खड़ा करके मारना शुरू कर दिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि बच्चों ने प्रार्थना के बाद उनके पैर नहीं छुए थे।
पैर न छूने पर बरपा गुस्सा दरअसल गुरुवार की सुबह स्कूल में रोजाना की तरह प्रार्थना सभा हुई। बच्चों ने परंपरा अनुसार मौजूद शिक्षकों के पैर छुए और कक्षाओं में चले गए। लेकिन सुकांति कर उस समय प्रार्थना में मौजूद नहीं थीं। जब वे पहुंचीं और देखा कि बच्चों ने उनके पैर नहीं छुए, तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। इसके बाद उन्होंने बच्चों को बुलाकर पिटाई करनी शुरू कर दी।
एक छात्र का हाथ टूटा, छात्रा हुई बेहोश इस बर्बर पिटाई के दौरान एक छात्र का हाथ टूट गया, जबकि एक छात्रा बेहोश हो गई। बेहोश छात्रा को तत्काल अस्पताल ले जाया गया। इस घटना से पूरे स्कूल में अफरातफरी मच गई। प्रधानाध्यापक पूर्णचंद्र ओझा, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बिप्लव कर और क्लस्टर रिसोर्स सेंटर कोऑर्डिनेटर देबाशीष साहू सहित स्कूल प्रबंधन समिति मौके पर पहुंची और बच्चों की हालत देखी। जांच में साफ हो गया कि टीचर ने बच्चों को कॉरपोरल पनिशमेंट दिया था।
आरोपी टीचर सस्पेंड जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद टीचर सुकांति कर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीर मानते हुए आगे की कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं। वहीं बच्चों के इलाज का जिम्मा स्कूल प्रशासन ने उठाया है।
लोगों में गुस्सा और सवाल इस घटना के बाद लोगों के मन में गुस्सा है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बच्चों के साथ इतनी बर्बरता क्यों की गई? क्या अब शिक्षक सम्मान पाने के लिए बच्चों पर दबाव डालेंगे? स्कूल समिति ने भरोसा दिलाया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई नहीं जाएंगी। लेकिन यह मामला शिक्षा व्यवस्था और बच्चों की सुरक्षा पर गहरे सवाल छोड़ गया है।