राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत,
सरकारी लापरवाही मानी जा रही घटना की वजह
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
राजस्थान के झालावाड़ ज़िले के मनोहर थाना स्थित पीपलोदी सरकारी स्कूल में शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब स्कूल की छत गिर जाने से सात बच्चों की मौत हो गई और दो अन्य बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। यह दर्दनाक हादसा सुबह करीब 8:30 बजे हुआ, जब स्कूल परिसर में लगभग 60 छात्र, शिक्षक और स्टाफ मौजूद थे।
जर्जर इमारत, अनसुनी चेतावनियाँ
स्थानीय सूत्रों और ग्रामीणों के अनुसार, स्कूल की इमारत जर्जर हालत में थी और इसके बारे में कई बार शिकायतें भी की गई थीं। इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बताया जा रहा है कि लगातार हो रही भारी बारिश के चलते इमारत की छत कमजोर होकर अचानक ढह गई। छत गिरने की आवाज़ के साथ चीख-पुकार मच गई और पूरा परिसर मलबे व धूल से भर गया।
स्थानीय लोगों की साहसी कोशिशें
घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों और परिजनों ने मौके पर पहुंचकर खुद ही राहत और बचाव कार्य शुरू किया। दृश्य बेहद भयावह था। बच्चे मलबे में दबे थे और रो रहे थे। चार जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाया गया। जिला प्रशासन, कलेक्टर और आपदा राहत टीमें भी राहत कार्य में जुटीं।
मृत और घायल बच्चे
सभी मृतक बच्चे 8 से 11 वर्ष की उम्र के थे और स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है। घायलों को पहले मनोहर थाना अस्पताल ले जाया गया और गंभीर रूप से घायल बच्चों को झालावाड़ के बड़े अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां वे आईसीयू में भर्ती हैं।
नेताओं की प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए इसे "त्रासदीपूर्ण और अत्यंत दुखद" बताया। पीएमओ की ओर से पोस्ट में लिखा गया, "मेरी संवेदनाएं प्रभावित परिवारों के साथ हैं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूँ। प्रशासन प्रभावितों को हर संभव मदद प्रदान कर रहा है।" वहीं, राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अधिकारियों को उचित इलाज की व्यवस्था करने और घटना की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि "यह जानना जरूरी है कि यह हादसा किस कारण से हुआ। मैंने कलेक्टर से बात की है और सभी तरह की सहायता देने का निर्देश दिया है।"
सवालों के घेरे में प्रशासन
यह घटना न केवल एक इंसानी त्रासदी है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और जवाबदेही की भी परख है। जिन इमारतों में हमारे बच्चों का भविष्य गढ़ा जाता है, वहां की दीवारें ही अगर जानलेवा साबित हो जाएं, तो यह हमारे पूरे तंत्र पर सवालिया निशान लगाता है।