बाबा के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, दस लाख मुआवजे के आदेश,
कहा इसने हमारी अंतरआत्मा को झकझोर दिया
29 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर बुल्डोजर एक्शन पर टिप्पड़ी की है। इस दौरान कार्ट ने मंगलवार को प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी को 2021 में मकान गिराने पर फटकार लगाई है। कार्ट ने अपनी टिप्पड़ी में अधिकारियों के इस बुलडोजर एक्शन को अमानवीय, अवैध बताया है। इसको लेकर जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने कहा है कि इस कार्रवाई के दौरान दूसरों की भावनाओं और अधिकारों का ख्याल नहीं रखा गया। बेंच ने कहा कि देश में लोगों के रिहायशी घरों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता है। इसने हमारी अंतरआत्मा को झकझोर दिया है। प्रयागराज प्रशासन ने 2021 में गैंगस्टर अतीक की प्रापर्टी समझकर एक वकील, प्रोफेसर और 3 अन्य के मकान गिरा दिए थे। सुप्रीम कोर्ट में वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों ने याचिका दाखिल की थी। ये वो लोग हैं, जिनके मकान तोड़े गए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकी याचिकाएं ठुकरा दी थीं।
अथॉरिटी को मुआबजे के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने डेवलपमेंट अथॉरिटी को दस दस लाख मुवाबजे के आदेश दिए हैं। अपने आदेश में बेंच ने कहा है कि “ जिनके मकान गिराए गए हैं, उन्हें 6 हफ्तों के भीतर 10-10 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राइट टु शेल्टर नाम भी कोई चीज होती है। उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है। इस तरह की कार्रवाई किसी तरह से भी ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्जल भुइयां ने यूपी के अंबेडकर नगर में 24 मार्च की घटना का जिक्र करते हुए कहा, ''अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक तरफ झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा था तो दूसरी तर एक 8 साल की बच्ची अपनी किताब लेकर भाग रही थी। इस तस्वीर ने सबको शॉक्ड कर दिया था।"
अतीक की जमीन समझ गिराए थे 5 मकान
सुप्रीम कोर्ट में जब पहले इस केस की सुनवाई हुई तो पीड़ितों की तरफ से वकील अभिमन्यु भंडारी ने दलील दी। उन्होंने कहा था, "अतीक अहमद नाम का एक गैंगस्टर था, जिसकी 2023 में हत्या कर दी गई थी। अफसरों ने पीड़ितों की जमीन को अतीक की जमीन समझ लिया। उन्हें (राज्य को) अपनी गलती स्वीकार कर लेनी चाहिए।" इस दलील पर यूपी सरकार ने कहा था कि हमने याचिकाकर्ताओं को नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया गया था। इस बहस पर जस्टिस ओका सहमत नहीं हुए। उन्होंने कहा, "नोटिस इस तरह क्यों चिपकाया गया? कूरियर से क्यों नहीं भेजा गया? कोई भी इस तरह नोटिस देगा और तोड़फोड़ करेगा। ये तोड़फोड़ का एक ऐसा मामला है, जिसमें अत्याचार शामिल है।"
हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस बयान के आधार पर कहा था कि वह भूमि नजूल लैंड थी। उसे सार्वजनिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाना था। 1906 से जारी लीज 1996 में खत्म हो चुका था। याचिकाकर्ताओं ने लीज होल्ड को फ्री-होल्ड करने का आवेदन दिया था। उन आवेदनों को 2015 और 2019 में खारिज किया जा चुका है। ऐसे में बुलडोजर कार्रवाई के जरिए अवैध कब्जे को हटाया गया था।
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
बुलडोजर एक्शनको लेकर सुप्रीम कार्ट की गाइडलाइन के तहत एक्शन से पहले 15 दिन का समय देना होगा तथा इसकी नाफरमानी की सूरत में नफ़रमानी करने वाले अधिकारी इसका खर्चा वहन करेंगे।
अब डालते हैं बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन पर एक नजर
• शो-कॉज नोटिस दिए बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।
• डाक के जरिए प्रॉपर्टी के मालिक को नोटिस भेजा जाएगा और प्रॉपर्टी की दीवार पर भी चिपकाया जाएगा।
• नोटिस भेजने के बाद 15 दिन का समय दिया जाएगा।
• इसकी जानकारी कलेक्टर या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को दी जाएगी।
• इसके बाद कार्रवाई पर नजर रखने के लिए नोडल अधिकारी की तय होंगे।
• इस पूरी प्रोसेस के लिए एक डिजिटल पोर्टल बनाया जाए, जिसमें कार्रवाई का नोटिस और ऑर्डर अपलोड किया जाए।
• प्रॉपर्टी मालिक की बातें और तर्क तय अधिकारी सुनेंगे। इसकी रिकॉर्डिंग भी की जाएगी।
• इसके बाद फाइनल ऑर्डर जारी किया जाए, जिसमें प्रॉपर्टी गिराने या न गिराने की वजहें शामिल हो।
• फाइनल ऑर्डर जारी होने के 15 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। ताकि प्रॉपर्टी मालिक खुद उसे गिरा सके या हटा सके।
• इस दौरान प्रॉपर्टी मालिक फाइनल ऑर्डर के खिलाफ अपील भी कर सकते हैं।
प्रॉपर्टी गिराने का प्रोसेस
अगर प्रॉपर्टी मालिक की ओर से ऑर्डर पर स्टे नहीं लगाया जाता है तब बलडोजर एक्शन लिया जाएगा।
• प्रॉपर्टी गिराने की वीडियोग्राफी की जाएगी।
• इस पूरी प्रोसेस का रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा, जिसे म्युनिसिपल कमिश्नर को सौंपा जाएगा।
• इसे डिजिटल पोर्टल पर भी अपलोड किया जाएगा।
गाइडलाइन्स की अवमानना पर एक्शन
• अगर प्रॉपर्टी गिराने की प्रोसेस में गाइडलाइन्स में चूक हुई तो कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जाएगा।
• गिराई गई प्रॉपर्टी को दोबारा बनवाने और मुआवजे का खर्च जिम्मेदार अधिकारी अपनी जेब से करेंगे।