सिविल के मामलो को क्रिमिनल केस बनाने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त,
DGP और जाँच अफसर तलब
23 days ago
Written By: NEWS DESK
लखनऊ: सिविल मुकदमो को आपराधिक मामलों में बदलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की खिचाई की है। यहाँ नोएडा के एक मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इसे कानून के शासन का ब्रेक डाउन करार देते हुए, अगली बार ऐसा होने की सूरत में पुलिस पर जुर्माना लगाने की हिदायत भी दी है। वहीं कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के DGP और जाँच अफसर को तलब करते हुए जवाब भी मांगा है।
चेक बाउंस होने पर दर्ज किया क्रिमिनल केस…
दरअसल ग्रेटर नोएडा में पैसे के लेनदेन के एक मामले को पुलिस ने सिविल केस की जगह क्रिमिनल केस बनाते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी थी। जिसको लेकर कोर्ट ने यह टिप्पड़ी की है। इस मामले में याचिकाकर्ता का कहना था कि पुलिस ने पैसे लेकर मामले को क्रिमिनल बना दिया। पुलिस ने सिविल मुकदमे को आपराधिक मामले में तब्दील करने के बाद समन जारी किया। याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया और आरोप लगाया कि पुलिस ने मामले को बदलने के लिए रिश्वत ली। कोर्ट यह भी कहा- उत्तर प्रदेश के वकील सिविल अधिकार क्षेत्र को भूल गए हैं, यह कानून के शासन का पूरी तरह से पतन दिखाता है।
कोर्ट ने कहा ये बेतुका…
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा- यह बेतुका है, सिर्फ पैसे न देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता। मैं जांच अधिकारी से कहूंगा कि वह गवाह के कठघरे में आएं। हम उन्हें आदेश देते हैं कि चार्जशीट क्यों दाखिल की, यह स्पष्ट करें। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा- यह गलत है, जो यूपी में हो रहा है। हर रोज सिविल मुकदमों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है। यह बेतुका है, सिर्फ पैसे नहीं देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता, ये कानून के शासन का पूरी तरह ब्रेकडाउन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा अब जो भी मामला आएगा, हम पुलिस पर जुर्माना लगाएंगे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा- इस दौरान धारा 138 NI के तहत कार्यवाही जारी रहेगी। अगर भविष्य में इसी तरह की याचिकाएं दायर की जाती हैं तो हम हर्जाने का आदेश देगी।