1,411 से 3,682 पहुंचा भारत में बाघों का अकड़ा,
केंद्रीय मंत्री ने पोस्ट कर दी जानकारी
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को जानकारी दी कि भारत में अब 3,682 बाघ हैं। जो कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
पोस्ट कर दी जानकारी
मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, "भारत बाघ संरक्षण में वैश्विक अगुवा बन चुका है। हमारे देश में 58 बाघ अभयारण्य हैं जो इन अद्भुत प्राणियों को समर्पित हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि बाघों की संख्या में यह वृद्धि केवल एक प्रजाति को बचाने की बात नहीं है, बल्कि यह उन जंगलों की सेहत और जैव विविधता का भी प्रमाण है जहां बाघ रहते हैं।
"दहाड़ और बुलंद हो!"
मंत्री भूपेंद्र यादव ने देशवासियों से आह्वान किया कि वे बाघों और उनके पर्यावरण की रक्षा के लिए संकल्प लें। उन्होंने लिखा, “बाघों को बचाना मतलब हमारे जंगलों, नदियों और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करना है। यही तंत्र स्थानीय समुदायों को आजीविका भी प्रदान करता है।” इस अवसर पर उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश था। पीएम मोदी ने कहा, "भारत ने न केवल अपने बाघों को बचाया है, बल्कि उनके लिए एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र भी बनाया है। हमारे देश में कई समुदायों में बाघ की पूजा होती है, और कई जनजातीय संस्कृतियों में बाघ को भाई का दर्जा दिया गया है।"
बाघों के लिए एक सफल मॉडल
पोस्ट किए गए वीडियो में यह भी बताया गया है कि, भारत की यह सफलता सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि जनभागीदारी, मजबूत नीति निर्माण, और वैज्ञानिक निगरानी का परिणाम है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने एक ऐसा संरक्षण मॉडल खड़ा किया है जो विश्व के लिए प्रेरणा बन गया है। वीडियो में यह भी बताया गया कि जब 2006 में बाघों की संख्या 1,411 थी, तब से अब तक यह आंकड़ा 3,682 तक पहुँचना इस बात का प्रमाण है कि भारत में वन प्रबंधन, संरक्षण कानूनों और स्थानीय लोगों की सहभागिता ने मिलकर बाघों के लिए एक सुरक्षित दुनिया बनाई है।
प्रकृति, प्रगति और परंपरा का संतुलन
वीडियो का अंतिम संदेश यही था कि भारत का बाघ संरक्षण मॉडल केवल बाघों की रक्षा नहीं कर रहा, बल्कि यह पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन का उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है। भूपेंद्र यादव ने कहा, “बाघों की मजबूत आबादी एक हरित और सशक्त भारत का संकेत है। इस अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर हम एक राष्ट्रीय उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं, जो कि मज़बूत नेतृत्व और जन-इच्छाशक्ति की देन है।”
2025 की थीम: स्थानीय समुदायों के साथ संरक्षण
वहीं हर साल 29 जुलाई को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस बाघों के संरक्षण और उनके आवास की रक्षा के लिए वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है।
इस वर्ष की थीम है, “स्थानीय और आदिवासी समुदायों को केंद्र में रखते हुए बाघों का भविष्य सुरक्षित करना”। भारत का बाघ संरक्षण मॉडल, जिसमें स्थानीय और आदिवासी समुदायों की सक्रिय भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है, इस वर्ष की थीम के साथ पूरी तरह मेल खाता है।