जिसे NGT ने भारत में बताया दूषित, वही संगम जल विदेशों में बना ‘आस्था का अमृत’,
अमेरिका ने की 15000 लीटर की डिमांड
22 days ago
Written By: NEWS DESK
महाकुंभ के समापन के बाद भी लोगों में आस्था का प्रवाह अब भी जारी है, प्रयागराज से संगम के जल के लिए विदेशों से मांग आ रही है ये वही संगम जल है जिस पर महाकुंभ के दौरान एनजीटी की रिपोर्ट ने सवाल खड़े कर दिए थे, एनजीटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि संगम का जल अब बेहद दूषित है ये नहाने लायक नहीं है। विपक्ष ने भी इस मामले को खूब उठाया था जिस पर विधानसभा में सीएम योगी ने बयान दिया था कि संगम का जल नहाने के लायक ही नहीं आचमन योग्य भी है, अब जबकि महाकुंभ को बीते एक महीने से ज्यादा हो गया है लेकिन अब भी संगम के जल की मांग चारो तरफ है, अमेरिका जर्मनी रूस नेपाल भूटान समेत कई देशो से जल का ऑर्डर आ रहा है। प्रयागराज में इन आर्डरों को पूरा करने के लिए तकरीबन 3700 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं काम कर रही है ।
विदेशों में कैसे भेजा जाता है गंगा का जल…
आइये अब आपको बताते है कि कैसे संगम के जल को विदेशों में भेजे जाने की क्या प्रक्रिया है। सबसे पहले फायर डिपार्टमेन्ट के टैंकर बड़े-बड़े कंटेनर में गंगाजल प्लांट तक लाते हैं। फिर उन्हें ड्रम में स्टोर किया जाता है। और इसके लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। अगर कोई गंगा जल को भी प्यूरीफाइड करने के लिए कहे तो उसके लिए भी एक प्लांट लगा हुआ है और उसमें गंगा जल को प्रोसेस करने के बाद उस गंगाजल का सप्लाई किया जाता हैं। संगम के जल को विदेशों में भेजने के लिए दो तरह की बोतलें उपयोग में लाई जाती हैं, एक कांच की और दूसरी प्लास्टिक की। यह पूरी तरह से डिमांड पर निर्भर करता है कि कस्टमर गंगा जल किस बोतल में चाहता हैं। जिसके बाद पैकेजिंग होती है संगम जल का लेबल लगाया जाता हैं।
2019 में हुई थी शुरुआत...
संगम के जल को भेजने की शुरुआत 2019 के अर्धकुंभ के दौरान हुई थी लेकिन उस समय इसका कोई खास प्रचलन नहीं हुआ था। 2023 में इस जल की मांग शून्य हो गई थी, लेकिन इस बार के महाकुंभ का विदेशों तक किया गया प्रचार संगम के जल की डिमांड को बढ़ा दिया है।
अमेरिका से आया 15000 लीटर का आर्डर…
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गंगाजल का पहला आर्डर श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज के जरिए 1000 लीटर का आया था। अब महामंडलेश्वर के जरिए ही अमेरिका से 15000 लीटर संगम जल का बड़ा ऑर्डर मिला है। इतना ही त्रिवेणी का जल रूस को भी भेजा जाना है। इस संगम जल का आर्डर नेपाल और भूटान से सात -सात सौ लीटर तो वहीं जर्मनी से 1000 लीटर का आया था जिसकी सप्लाई पहले ही की जा चुकी है।
विदेशों के पूजा घर में संगम का जल…
अब सवाल ये भी उठता है कि अमेरिका, रूस समेत इन देशों में संगम जल का उपयोग क्या होगा? दरअसल, इन देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग प्रयागराज नहीं पहुंच सके। इसलिए अब संगम का जल मंगवाकर अपने पूजा घर में रख रहे हैं। स्नान करने के लिए भी गंगा जल का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिस संगम के जल को महाकुंभ के दौरान दूषित बताया जा रहा था अब वही संगम का जल हजारों लोगों के आजीविका का स्रोत बन चुका है।