भारत में पाया गया ये नया अनोखा ब्लड ग्रुप,
कर्नाटक की महिला के ब्लड में मिला 'CRIB' एंटीजन
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
कर्नाटक के कोलार जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने चिकित्सा जगत को हैरत में डाल दिया है। यहां एक 38 वर्षीय महिला के रक्त परीक्षण में एक ऐसा ब्लड ग्रुप पाया गया है, जो अब तक दुनिया में कहीं भी दर्ज नहीं हुआ था। इस अभूतपूर्व खोज ने न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य शोध संस्थानों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस नए ब्लड ग्रुप को "CRIB" नाम दिया गया है, जिसका औपचारिक ऐलान जून 2025 में इटली में हुई ISBT (International Society of Blood Transfusion) की बैठक में किया गया।
O पॉजिटिव ब्लड से भी नहीं हुआ मेल
दरअसल हैरत उस वक्त हुई जब महिला को कार्डियक अरेस्ट के बाद हार्ट सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। सामान्य प्रक्रिया के तहत उसका ब्लड ग्रुप O RH+ पाया गया, जो कि आमतौर पर सबसे अधिक प्रचलित रक्त समूहों में गिना जाता है। लेकिन जब ऑपरेशन के लिए रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ी तो किसी भी O पॉजिटिव ब्लड यूनिट से उसका ब्लड मेल नहीं खा रहा था। इससे डॉक्टर हैरान रह गए।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ब्लड सैंपल को बेंगलुरु स्थित रोटरी बैंगलोर टीटीके ब्लड सेंटर भेजा गया, जहां पर एडवांस तकनीकों से परीक्षण किए गए। सेंटर के प्रमुख डॉ. अंकित माथुर ने बताया कि उनके यहां महिला के रक्त को सभी संभावित टेस्ट सैंपल्स से मिलाया गया, लेकिन किसी से भी मेल नहीं हुआ।
20 परिवारजनों के सैंपल भी फेल
ब्लड ग्रुप की पुष्टि के लिए महिला के परिवार के लगभग 20 सदस्यों के सैंपल भी लिए गए। उम्मीद थी कि किसी एक से तो मेल मिलेगा, लेकिन हर परीक्षण नकारात्मक रहा। इसने यह साबित कर दिया कि महिला का ब्लड ग्रुप न केवल दुर्लभ है, बल्कि अब तक के ज्ञात ब्लड ग्रुप सिस्टम से पूरी तरह अलग है।
बिना ब्लड ट्रांसफर के हुआ सफल ऑपरेशन
हालात को देखते हुए डॉक्टरों ने अत्यधिक सावधानी बरतते हुए महिला की हार्ट सर्जरी बिना किसी ब्लड ट्रांसफर के सफलतापूर्वक पूरी की। यह मेडिकल टीम की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। इसके बाद महिला और उसके परिवार के ब्लड सैंपल को आगे जांच के लिए यूके स्थित इंटरनेशनल ब्लड ग्रुप रेफरेंस लेबोरेटरी भेजा गया। करीब दस महीने की रिसर्च के बाद यह निष्कर्ष निकला कि महिला में एक नया एंटीजन मौजूद है, जिसे ‘CRIB’ नाम दिया गया।
नाम के पीछे का विज्ञान
'CRIB' शब्द एक संक्षेप है, जिसमें ‘CR’ क्रोमर सिस्टम से लिया गया है, जो ब्लड ग्रुप्स को वर्गीकृत करने वाला एक सिस्टम है। वहीं 'IB' का अर्थ है ‘इंडिया-बैंगलोर’, जो इस खोज के भौगोलिक संदर्भ को दर्शाता है। रोटरी बैंगलोर टीटीके ब्लड सेंटर, जो इस खोज में प्रमुख भूमिका निभा रहा है, पहले भी कई दुर्लभ ब्लड ग्रुप मामलों में सहायता कर चुका है और वर्तमान में दुर्लभ रक्तदाताओं की एक विशेष रजिस्ट्री भी संचालित कर रहा है।
चिकित्सा शोध की नई दिशा
इस खोज ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन और इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में एक नई बहस छेड़ दी है। अब वैज्ञानिक समुदाय इस पर विचार कर रहा है कि क्या इस तरह के और भी अनदेखे ब्लड ग्रुप्स इंसानों में मौजूद हो सकते हैं, जिन्हें अब तक खोजा नहीं गया है।