गैरों पे रहम...अपनो पे सितम…ट्रंप का ये कैसा करम !
भारत पर टैरिफ और पाक से तेल समझौते पर उठे सवाल…
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से ऐसे फैसले लिए हैं, जिन्होंने न सिर्फ भारत-अमेरिका रिश्तों में कड़वाहट घोल दी है, बल्कि दक्षिण एशिया की राजनीति को भी नई दिशा दे दी है। जब से ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका की कमान संभाली है, उनके फैसले लगातार विवादों में हैं और अब उनके ताजा कदमों से भारत में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।
भारत पर टैरिफ, पाक से तेल समझौता
ट्रंप ने एक तरफ भारत पर 25 फीसदी टैरिफ और एक अतिरिक्त जुर्माने का ऐलान किया है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने पाकिस्तान के साथ मिलकर तेल भंडार विकसित करने का समझौता कर लिया है। यह कदम उस समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में सैन्य तनाव भी देखा गया। ऐसे में ट्रंप की नीति को लेकर सवाल उठने लाजिमी हैं कि, क्या यह अमेरिका की संतुलित विदेश नीति का हिस्सा है या फिर भारत से कोई निजी खुन्नस?
ट्रुथ पर दी समझौते की जानकारी
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर पाकिस्तान-अमेरिका तेल समझौते की जानकारी देते हुए भारत को अप्रत्यक्ष रूप से संदेश भी दे डाला। उन्होंने लिखा कि “कौन जाने, हो सकता है कि पाकिस्तान एक दिन भारत को तेल बेचे।” ये शब्द सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि भारत के लिए रणनीतिक चेतावनी भी माने जा सकते हैं।
पहले अच्छा दोस्त बताते थे ट्रंप
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्हें ट्रंप पहले अपना 'अच्छा दोस्त' बता चुके हैं, अब शायद कूटनीतिक जवाब की तैयारी में होंगे। जानकारों की मानें तो मोदी सरकार फिलहाल सधे कदमों के साथ आगे बढ़ना चाहती है। भारत को ट्रंप के टैरिफ बम का जवाब देने के लिए व्यापारिक बातचीत का सहारा लेना चाहिए और यह प्रयास करना चाहिए कि टैरिफ का बोझ भारत की अर्थव्यवस्था पर न पड़े।
ट्रंप के इन फैसलों ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि अमेरिका की विदेश नीति अब 'फ्रेंडली डिप्लोमेसी' से ज्यादा 'प्रेशर डिप्लोमेसी' की ओर बढ़ रही है। भारत के लिए यह वक्त है संयम से, परंतु मजबूती के साथ अपनी रणनीति तय करने का। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि आने वाले दिनों में भारत को न सिर्फ ट्रंप के अप्रत्याशित निर्णयों से निपटना होगा, बल्कि पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के बदलते नजरिए पर भी नज़र रखनी होगी। ऐसे में भारतीय विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय की अगली प्रतिक्रिया अहम होगी।