मोहम्मद शमी को उलेमाओं ने कहा क्रिमिनल,
क्रिकेटर के कोच ने मौलानाओं को धो डाला...देखिये वीडियो
2 months ago Written By: News Desk
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के रमजान में रोजा नहीं रखने को लेकर बवाल मचा हुआ है। देश में कई मुस्लिम उलेमा शमी को क्रिमिनल तक करार दे रहे हैं। उनका मानना है कि शमी को हर हाल में रोजा रखना चाहिए। वहीं अब भारतीय गेंदबाज के बचपन के कोच बदरुद्दिन सिद्दिकी उनके बचाव में आए हैं। बदरुद्दिन सिद्दिकी का मानना है कि उन्होंने किसी तरह का कोई गुनाह नहीं किया है। उसे सिर्फ अभी टीम के लिए फाइनल मैच पर ध्यान देना चाहिए।
शमी के रोजा न रखने पर क्या बोले मौलाना?
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा, "अनिवार्य कर्तव्यों में से एक 'रोजा' (उपवास) है। अगर कोई स्वस्थ पुरुष या महिला 'रोजा' नहीं रखता है, तो वह एक बड़ा अपराधी होगा। भारत के एक प्रसिद्ध क्रिकेट व्यक्तित्व, मोहम्मद शमी ने मैच के दौरान पानी या कोई अन्य पेय पदार्थ लिया। लोग उन्हें देख रहे थे। अगर वह खेल रहे हैं, तो इसका मतलब है कि वह स्वस्थ हैं। ऐसी स्थिति में, उन्होंने 'रोजा' नहीं रखा और पानी भी पी लिया। इससे लोगों में गलत संदेश जाता है। उन्होंने आगे कहा कि 'रोजा' न रखकर उन्होंने एक अपराध किया है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। शरीयत की नजर में, वह एक अपराधी है। उसे खुदा को जवाब देना होगा।"
क्या है शमी का पूरा मामला
बता दें कि मोहम्मद शमी इस समय टीम इंडिया के लिए चैंपियंस ट्रॉफी में खेल रहे हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में शमी को फील्डिंग करते हुए एनर्जी ड्रिंक पीते देखा गया था। टीवी स्क्रीन पर उनके इस विजुअल के आते ही मुस्लिम मौलानाओं ने बवाल शुरू कर दिया कि उन्होंने रमजान के महीने रोजा क्यों नहीं रखा है। कई उलेमा तो उन्हें क्रिमिनल तक कह दिया। लेकिन वहीं पर कई लोगों ने कहा था कि मोहम्मद शमी ने रोजा न रखकर कुछ गलत नहीं किया, देश हमेशा धर्म से बड़ा होता है।
दरअसल मोहम्मद शमी एक तेज गेंदबाज हैं। उन्हें टीम के लिए वनडे में कम से कम 10 ओवर की गेंदबाजी करनी ही होती है। इसके अलावा 50 ओवर के लिए फील्डिंग भी करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में किसी खिलाड़ी के लिए यह संभव नहीं है कि वह पीना कुछ खाए-पिए मैदान पर अपना शत प्रतिशत दे पाए। यही कारण है कि मुस्लिम एथलीट जब खेल रहे होते हैं तो वह अक्सर रमजान के दौरान रोजा नहीं रख पाते हैं और इस्लाम में इस परिस्थिति में छूट भी है।
इस्लाम में क्या है रोजा न रखने का नियम ?
इस्लाम धर्म में यह नियम है कि सभी मुस्लिम को रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखना होता है। कुरान में यह बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति यात्रा कर रहा है या फिर बीमार है तो ऐसी स्थिति में उन्हें रोजा नहीं रखने की छूट होती है। मोहम्मद शमी के मामले में भी ऐसा ही है। शमी इस समय में टीम इंडिया के साथ दुबई में चैंपियंस ट्रॉफी में खेल रहे हैं। इसका मतलब ये हुआ कि वह अभी ट्रैवल कर रहे हैं। इसके अलावा वह एक एथलीट है जिसके कारण भी उन्हें रोजा रखने की छूट है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए सेमीफाइनल में छा गए शमी
चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शमी ने 10 ओवर के स्पेल में 48 रन देकर तीन विकेट लिए थे। उन्होंने कपूर कोनोली, कप्तान स्टीव स्मिथ और नाथन एलिस का विकेट लिया। मैच के बाद मोहम्मद शमी ने कहा,"मैं अपनी लय फिर हासिल करके टीम के लिए ज्यादा योगदान देने की कोशिश कर रहा हूं। दो विशेषज्ञ तेज गेंदबाज टीम में नहीं है और मेरे ऊपर ज्यादा जिम्मेदारी है। जब आप अकेले मुख्य तेज गेंदबाज हैं और दूसरा ऑलराउंडर है तो तो कार्यभार रहता है। आपको विकेट लेकर मोर्चे से अगुआई करनी होती है। मुझे इसकी आदत हो गई है और मैं अपना शत प्रतिशत से अधिक देने की कोशिश कर रहा हूं।"
शमी के बचपन के कोच ने क्या कहा ?
उलेमाओं के बवाल के बीच भारतीय गेंदबाज के बचपन के कोच बदरुद्दिन सिद्दिकी उनके बचाव में आए हैं। बदरुद्दिन सिद्दिकी का मानना है कि उन्होंने किसी तरह का कोई गुनाह नहीं किया है। उसे सिर्फ अभी टीम के लिए फाइनल मैच पर ध्यान देना चाहिए। शमी के कोच ने कहा, 'शमी ने जो कुछ भी किया है वह सही है और उसे इन चीजों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना चाहिए की बाहर क्या चल रहा है। उसे सिर्फ फाइनल मैच पर ध्यान देने की जरूरत की है। पर्सनल चीजें बाद में भी की जा सकती है, देश पहले है। मैं सबसे अनुरोध करता हूं कि इस समय शमी को आप सब सपोर्ट करें। उसने कोई गुनाह नहीं किया है।'