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वफ्क संसोधन बिल 56 वोटों की बढ़त से संसद में पास, जाने क्या हुए 5 बड़े बदलाव

2 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा

वक्फ संशोधन बिल को लेकर बुधवार को संसद में काफी गहमा-गहमी का महौल रहा, यहां दिन के 12 बजे बिल को सदन में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया, यहां लगभग 14 घंटों तक इसपर बहस चलती रही। जिसके बाद रात 2 बजे हुई वोटिंग के बाद बिल संसद में पास हो गया। यहां वोटिंग के दौरान कुल 520 सांसदों ने वोट डाले, जिसमें 288 बिल के पक्ष तथा 232 वोट बिल के विरोध में डाले गए। जिसके उपरांत 56 वोटों की बढ़त के साथ बिल संसद में पास हो गया, जिसे गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जायेगा। 

आइए जानते हैं 5 बड़े बदलावों के बारे में… 

वक्फ संशोधन बिल संसद में पास होने के बाद पुराने कानून में कई बड़े बदलाव आये हैं। यहां बात अगर प्रमुख पांच बदलावों की जाए तो, इसमें वक्फ संबंधित मामलों में ट्रिब्यूनल के अलावा कहीं दावा ना कर पाने,  ट्रिब्यूनल के फैसले को आखरी फैसला माने जाने, किसी धार्मिक संपत्ति के आटोमेटिक वक्फ की संपत्ति घोषित होने, वक्फ बोर्ड में महिला सदस्यों की नियुक्ति ना किये जाने तथा वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल ना करने जैसे कानून शामिल हैं। 

आइए डालते हैं पुराने-नए 5 कानूनों पर एक नजर…

क्या था पुराना कानून….

1- सेक्शन 40 में रीजन टु बिलीव के तहत अगर वक्फ बोर्ड किसी प्रॉपर्टी पर दावा करता है तो उस प्रॉपर्टी का मालिक सिर्फ 'वक्फ ट्रिब्यूनल' में ही अपील कर सकता है।

2- वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी माना जाता है तथा उसे चुनौती नहीं दी जा सकती।

3- किसी जमीन पर मस्जिद हो या उसका उपयोग इस्लामिक कामों के लिए हो तो वह ऑटोमैटिक वक्फ संपत्ति हो जाती है।

4- वक्फ बोर्ड में महिलाओं की नियुक्ति नहीं हो सकती।

5- वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्य शामिल नहीं हो सकते। 

नए बिल में क्या हुए बदलाव…

1- नए बिल के अनुसार प्रॉपर्टी का मालिक ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या अन्य ऊपरी कोर्ट में अपील कर सकेगा।

2- वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी।

3- जब तक किसी ने प्रॉपर्टी वक्फ को दान न की हो, वह वक्फ संपत्ति नहीं होगी, भले ही उस प्रॉपर्टी पर मस्जिद बनी हो।

4- वक्फ बोर्ड में 2 महिलाओं सदस्यों की नियुक्ति हो सकेगी।

5- नए कानून के अनुसार वक्फ बोर्ड में अब 2 गैर मुस्लिम सदस्य भी शामिल होंगे।  

1954 में हुई थी शुरुआत…. 

आज जिस वक्फ बोर्ड को लेकर हर ओर बवाल मचा हुआ है, उसकी शुरुवात साल 1954 में हुई थी। दरअसल साल 1950 के दशक में वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनाने की जरूरत महसूस हुई थी, जिसके बाद इसके लिए 1954 में 'वक्फ एक्ट' के नाम से कानून बनाकर 'सेंट्रल वक्फ काउंसिल' का प्रावधान किया गया। एक साल बाद यानी 1955 में इस कानून में बदलाव करके हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की शुरुआत हुई। इस वक्त देश भर में करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं। ये वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन और रखरखाव करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए वक्फ बोर्ड अलग हैं। 1964 में पहली बार सेंट्रल वक्फ काउंसिल गठित हुई। 1954 के इसी कानून में बदलाव करने के लिए केंद्र सरकार 'वक्फ संशोधन बिल' लाई है।

भारत सरकार का कानून है, इसे मानना होगा- शाह 

संसद में वक्फ संशोधन बिल को लेकर मचे हंगामे के बीच गृह मंत्री अमित शाह का कड़ा अंदाज देखेने को मिला, बिल पास होने पर शाह ने दो टूक में साफ़ कर दिया कि भारत सरकार के कानून को सबको मानना होगा। शाह ने कहा “आपके (विपक्ष) हिसाब से चर्चा नहीं होगी। इस सदन में हर सदस्य बोलने के लिए स्वतंत्र है। किसी परिवार की नहीं चलती है, जनता के नुमाइंदे हैं और चुनकर आए हैं। कोई भी फैसला देश की अदालत की पहुंच से बाहर नहीं रखा जा सकता। जिसकी जमीन हड़प ली गई वो कहां जाएगा। आपने अपने फायदे के लिए किया था और हम खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने रेवेन्यू का मामला कम कर दिया। 7 फीसदी से 5 फीसदी कर दिया। ये गलत समझ रहे हैं, ये पैसा वक्फ के काम आएगा। कोई मस्जिद बन रही है तो ज्यादा पैसा मिलेगा। आदिवासियों, ASI, निजी संपत्ति सुरक्षित होगा। वक्फ करने के लिए स्वामित्व होना जरूरी है। पारदर्शिता के लिए सूचना की प्रक्रिया को अपनाना होगा। नए वक्फ पारदर्शी रूप से रजिस्टर्ड कराने होंगे।

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