Anil Ambani: YES बैंक पर अनिल अंबानी की रिलायंस म्यूचुअल फंड ने लगाया बड़ा आरोप,
AT-1 बॉन्ड में ₹2,850 करोड़ के गबन का शक
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
Anil Ambani: उद्योगपति अनिल अंबानी की रिलायंस म्यूचुअल फंड (Reliance Mutual Fund) पर ₹2,850 करोड़ के निवेश को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सूत्रों के अनुसार, इस राशि को YES बैंक के AT-1 बॉन्ड में संदिग्ध लेन-देन (quid pro quo) के तहत निवेश किया गया था। बाद में यह पैसा गबन (siphon off) कर लिया गया। इस मामले की जांच अब CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) भी कर रही है।
क्या हैं AT-1 बॉन्ड और क्यों हैं विवाद ?
एडिशनल टियर-1 (AT-1) बॉन्ड आम बॉन्ड की तरह नहीं होते। इनमें कोई परिपक्वता तिथि (maturity date) नहीं होती। निवेशकों को उनका मूलधन वापस नहीं मिलता, लेकिन उन्हें उच्च ब्याज दर मिलती रहती है। बैंक जरूरत पड़ने पर इन्हें इक्विटी में बदल सकता है या पूरी तरह समाप्त कर सकता है। रिलायंस म्यूचुअल फंड के मामले में, YES बैंक ने इन AT-1 बॉन्ड्स को लिखकर समाप्त (write off) कर दिया, जिससे निवेशकों का पैसा डूब गया। ED के मुताबिक, ये पैसे आम म्यूचुअल फंड निवेशकों के थे।
₹10,000 करोड़ से अधिक की संदिग्ध धनराशि का मामला
SEBI द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर ED ने खुलासा किया कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने एक अनजान 'C' कंपनी के माध्यम से इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट (ICDs) के नाम पर भारी रकम अपने ही समूह की कंपनियों को ट्रांसफर की। सूत्रों का कहना है कि 'C' कंपनी को जानबूझकर रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की संबंधित पार्टी के रूप में घोषित नहीं किया गया, ताकि शेयरहोल्डर और ऑडिट कमेटी की अनुमति से बचा जा सके।
इसके अलावा, जांच में सामने आया कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कुल ₹5,480 करोड़ का हेयरकट लिया, और केवल ₹4 करोड़ ही नकद में वसूल हुआ। बाकी की ₹6,499 करोड़ की राशि को कुछ डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) की संपत्ति व आर्थिक अधिकारों के रूप में समायोजित किया गया जिनका कोई व्यापार वर्षों से नहीं हो रहा था। इस तरह कुल गबन की राशि ₹10,000 करोड़ से अधिक आंकी जा रही है।
ED की ताबड़तोड़ छापेमारी, शेयर बाजार में हड़कंप
PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत मुंबई में 35 से अधिक ठिकानों पर 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के यहां छापेमारी हुई। हालाँकि, रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई अपनी फाइलिंग में कहा कि ED की कार्रवाई का उनकी व्यवसायिक गतिविधियों, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों या कर्मचारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया रिपोर्टों में जिन लेन-देन का उल्लेख है, वे 10 साल से भी पुराने, रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से संबंधित हैं। फिर भी, इन दोनों कंपनियों के शेयर 5% गिरकर लोअर सर्किट पर पहुंच गए, जिससे निवेशकों में घबराहट देखी गई।