रामभद्राचार्य बोले- मुझे गुरु दक्षिणा में पीओके चाहिए,
चित्रकूट में आर्मी चीफ ने ली गुरु दीक्षा
1 months ago
Written By: NEWS DESK
Army Chief Guru Diksha: बुधवार को चित्रकूट में एक विशेष और ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला, जब थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपनी पत्नी सुनीता द्विवेदी के साथ जगद्गुरु रामभद्राचार्य से आशीर्वाद लिया और औपचारिक रूप से गुरु दीक्षा ली। इस अवसर पर आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का संगम देखने को मिला। वहीं इस दौरान रामभद्राचार्य ने सेना प्रमुख से गुरुदक्षिणा में POK मांग लिया।
तुम शस्त्र से लड़ो मैं शास्त्र से
इस दौरान, गुरु रामभद्राचार्य ने सेना प्रमुख से कहा, "तुम शस्त्र से लड़ो, मैं शास्त्र से। गुरु दक्षिणा में मुझे पीओके चाहिए। अब समय आ गया है, जब आतंक के अड्डों को पूरी तरह नष्ट कर भारत माता का ध्वज पीओके में लहराया जाए।" इसके जवाब में जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि "ऑपरेशन सिंदूर" को देशभर से जबरदस्त समर्थन मिला है। इससे सेना का मनोबल कई गुना बढ़ा है और यह अभियान पूरी तरह सफल रहा है।
धर्म और राष्ट्र की रक्षा का युद्ध
वहीं इस दौरान रामभद्राचार्य ने आगे कहा कि, "यह सिर्फ सैन्य युद्ध नहीं, बल्कि धर्म और राष्ट्र की आत्मा की रक्षा का युद्ध है। यह भारत की अखंडता का युद्ध है, सीमाओं से कहीं बड़ा।" सेना प्रमुख ने गुरु को भारतीय सेना की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किया। जानकारी के अनुसार, वे करीब 5 घंटे चित्रकूट धाम में रुके और आध्यात्मिक चर्चा में भाग लिया।
झांसी पहुंचे आर्मी चीफ, जवानों को मेडल दिए
चित्रकूट के बाद जनरल द्विवेदी झांसी के बबीना आर्मी कैंट पहुंचे। जहां उन्होंने अफसरों से मुलाकात की और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जवानों को मेडल भी प्रदान किए। उन्होंने जवानों के साथ टैंक पर चढ़कर फोटो भी खिंचवाई। इस दौरान यूएसएस और लॉइटरिंग म्यूनिशन प्रणाली से बने स्वदेशी ड्रोन ने सेना प्रमुख के सामने प्रदर्शन किया।
कौन हैं रामभद्राचार्य?
आपको बताते चलें कि, जगद्गुरु काहे जाने वाले रामभद्राचार्य का असली नाम गिरधर मिश्रा है, चित्रकूट में रहते हैं। वे रामानंद संप्रदाय के चार मौजूदा जगद्गुरुओं में से एक हैं और 1988 से इस पद पर आसीन हैं। उन्होंने तुलसी पीठ की स्थापना की और जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय की स्थापना कर विकलांगों के लिए शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। वे संस्कृत और हिंदी के चार महाकाव्य लिख चुके हैं और तुलसीदास पर भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में गिने जाते हैं। उन्हें 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।