बांके बिहारी मंदिर के खजाने से बनेगा 500 करोड़ का कॉरिडोर,
सुप्रीम कोर्ट से मिली मंजूरी
1 months ago
Written By: NEWS DESK
Banke Bihari Corridor: मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और सुविधाएं बढ़ाने के उद्देश्य से भव्य कॉरिडोर निर्माण का रास्ता अब साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के खजाने से 500 करोड़ रुपए खर्च कर 5 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने की अनुमति दे दी है।
भगवान के नाम पर दर्ज होगी जमीन
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अधिगृहीत भूमि भगवान बांके बिहारी जी के नाम पर पंजीकृत की जाएगी। इस फैसले के साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को भी संशोधित कर दिया गया है, जिसमें सरकारी धन से जमीन खरीदने पर रोक लगाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का साफ निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे, ने मंदिर के प्रशासन से जुड़े मामलों में भी बड़ा निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि मंदिरों में अब अधिवक्ता रिसीवर नहीं बनेंगे। इसके बजाय कोई ऐसा व्यक्ति नियुक्त किया जाए जो धार्मिक पृष्ठभूमि वाला हो, वैष्णव परंपरा को जानता हो और शास्त्रों का ज्ञान रखता हो।
450 करोड़ की राशि मंदिर खजाने में पहले से मौजूद
बांके बिहारी मंदिर के खजाने में वर्तमान में लगभग 450 करोड़ रुपए पहले से जमा हैं। इन्हीं पैसों से भूमि अधिग्रहण और कॉरिडोर का निर्माण होगा। प्रदेश सरकार ने पहले ही स्पष्ट किया था कि अगर वह अपने फंड से जमीन खरीदेगी, तो उस पर सरकारी स्वामित्व होगा। इससे कॉरिडोर को मंदिर से जोड़ा नहीं जा सकेगा।
मंदिर प्रबंधन से सरकार रहेगी दूर
यूपी सरकार ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य सिर्फ श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देना है, मंदिर के अंदरूनी प्रबंधन में दखल नहीं देना है। मंदिर परिसर की मैनेजमेंट कमेटी ही कॉरिडोर का संचालन करेगी।
भीड़ नियंत्रण के लिए बना था प्लान
2022 में जन्माष्टमी के दौरान मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में दम घुटने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इसके बाद बनी सुलखान सिंह कमेटी ने रिपोर्ट में कॉरिडोर निर्माण की सिफारिश की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि श्रद्धालुओं की संख्या त्योहारों पर 5 लाख तक पहुंच जाती है, ऐसे में विशेष व्यवस्था आवश्यक है।
60% क्षेत्र प्रयोग में नहीं आ रहा
मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल मंदिर का लगभग 60% भाग श्रद्धालुओं के प्रयोग में नहीं आ रहा। रेलिंग और व्यवस्थाएं ऐसी हैं कि श्रद्धालु सिर्फ सीमित हिस्से तक ही पहुंच पाते हैं। कॉरिडोर बनने के बाद मंदिर में प्रवेश और निकास के दो-दो गेट होंगे, जिससे भीड़ नियंत्रण में मदद मिलेगी।