बिहार चुनाव 2025 के नतीजों ने बदली राजनीति की तस्वीर,
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
1 months ago
Written By: Aniket Prajapati
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे शुक्रवार को जारी हुए और इस बार राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला। भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार इतने बड़े पैमाने पर सीटें हासिल की हैं। भाजपा को 89 सीटें और उसके सहयोगी जदयू को 85 सीटें मिलीं। दूसरी ओर महागठबंधन को करारी हार मिली और वह सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया। तेजस्वी यादव की राजद इसमें सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन उसे भी केवल 25 सीटें मिल सकीं। कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा। 61 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी कांग्रेस सिर्फ 6 सीटें जीत सकी। चुनाव नतीजों के बाद भाजपा मुख्यालय में जीत का जश्न हुआ, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की स्थिति और उसके भविष्य पर बड़ा बयान दिया।
पीएम मोदी ने कहा—कांग्रेस को अंदर से घोर निराशा घेर रही
दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में जश्न के दौरान पीएम मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बिहार की जीत भाजपा के लिए बंगाल जैसे राज्यों में भी रास्ता आसान करेगी। इसी भाषण में उन्होंने कांग्रेस को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व जिस दिशा में पार्टी को लेकर चल रहा है, उससे पार्टी के भीतर “घोर निराशा और नाराजगी” लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नामदार खुद भी डूब रहे हैं और दूसरों को भी “डुबोने की प्रैक्टिस” कर रहे हैं।
मोदी बोले—कांग्रेस में एक और बड़ा विभाजन संभव
प्रधानमंत्री मोदी ने आशंका जताई कि आने वाले समय में कांग्रेस में एक और बड़ा विभाजन हो सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति के कारण सहयोगी दल भी उससे दूरी बना लेंगे। कई बार कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भी पार्टी नेतृत्व की आलोचना की है—जैसे कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, मणिशंकर अय्यर, शशि थरूर, भूपेंद्र सिंह हुडा, सचिन पायलट, डीके शिवाकुमार आदि। इससे साफ दिखता है कि पार्टी में असंतोष गहरा रहा है।
कांग्रेस के इतिहास में कई बार हुए विभाजन
पीएम मोदी के बयान के बाद कांग्रेस के इतिहास पर भी चर्चा तेज हो गई है। आजादी के बाद कई बार कांग्रेस टूटी है। 1978 में इंदिरा गांधी के जेल से वापस आने के बाद पार्टी में सबसे बड़ा विभाजन हुआ था। बाद में 1981 में दोनों गुटों का विलय हो गया। आखिरी बार बड़ा विभाजन 1999 में हुआ, जब शरद पवार, पी.ए. संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल पर सवाल उठाते हुए एनसीपी की स्थापना की।