चर्नोबिल में दिखे नीले रंग के कुत्ते, वैज्ञानिक भी रह गएं हैरान…
रेडिएशन या कोई और रहस्य
2 months ago Written By: Ashwani Tiwari
दुनिया के सबसे बड़े परमाणु हादसों में से एक चर्नोबिल (Chernobyl) फिर से चर्चा में है। 26 अप्रैल 1986 को हुए न्यूक्लियर रिएक्टर विस्फोट के बाद यह इलाका आज भी इंसानों के लिए रहने लायक नहीं है। लेकिन अब यहां से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है इस इलाके में कुछ कुत्ते नीले रंग (Blue Dogs in Chernobyl) के दिखाई दे रहे हैं। वैज्ञानिक इस बदलाव को लेकर हैरान हैं और इसकी वजह तलाशने में जुटे हैं।
चर्नोबिल हादसे के बाद अब भी वीरान है पूरा इलाका
1986 के न्यूक्लियर हादसे के बाद तत्कालीन सोवियत सरकार ने लगभग 47 वर्ग किलोमीटर के इलाके को खाली कराया था। इस क्षेत्र को चर्नोबिल एक्सक्लूजन जोन कहा जाता है। तब सभी पशुओं को रेडिएशन फैलने से रोकने के लिए मारकर लेड की परत में दफनाया गया था। लेकिन कुछ पालतू कुत्ते बच गए। अब उन्हीं कुत्तों की नई पीढ़ी यहां रह रही है। इन कुत्तों की देखरेख डॉग्स ऑफ चर्नोबिल नाम की संस्था करती है। यह संस्था करीब 700 कुत्तों को भोजन, इलाज और रहने की सुविधा देती है। हाल ही में जब संस्था की टीम कुत्तों के मेडिकल चेकअप और स्टरलाइजेशन के लिए पहुंची, तो उन्हें एक बेहद अजीब नजारा देखने को मिला।
नीले रंग के कुत्ते देख सब हैरान टीम को तीन ऐसे कुत्ते मिले जिनके बाल नीले पड़ने लगे थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ दिन पहले तक ये कुत्ते सामान्य थे, लेकिन अब उनका रंग बदल रहा है। संस्था के सदस्यों को शक है कि ये कुत्ते किसी अनजान केमिकल के संपर्क में आए हैं। हालांकि अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
वैज्ञानिक जांच में जुटे, केमिकल या रेडिएशन पर सवाल
वैज्ञानिकों ने कुत्तों के बाल, त्वचा और खून के सैंपल जांच के लिए इकट्ठा किए हैं। उनका मानना है कि इस बदलाव के पीछे इंडस्ट्रियल केमिकल्स या भारी धातुएं (Heavy Metals) भी जिम्मेदार हो सकती हैं। संस्था ने सोशल मीडिया पर लिखा हमें अभी तक इसकी वजह नहीं पता। हम उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जांच की जा सके। वे बहुत एक्टिव दिख रहे हैं और अब तक हमने उनमें कोई कमजोरी या बीमारी नहीं देखी है।
फिलहाल एक्टिव हैं कुत्ते, जांच जारी स्थानीय लोगों का कहना है कि अपने अनोखे रंग के बावजूद कुत्ते सामान्य और चुस्त नजर आ रहे हैं। फिलहाल वैज्ञानिक टीम जांच में जुटी है कि आखिर इनका रंग नीला क्यों पड़ रहा है क्या यह रेडिएशन का असर है या किसी नए केमिकल प्रदूषण का नतीजा।