छठ महापर्व का तीसरा दिन: आज दिया जाएगा संध्या अर्घ्य,
जानें डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व और नियम
2 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Chhath Puja: छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान सूर्य और छठी मैया की आराधना को समर्पित होता है। आज शाम श्रद्धालु अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगे और अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लंबी आयु और जीवन में शांति की कामना करेंगे। छठ पर्व का यह सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, क्योंकि इसी दिन व्रती पूरे समर्पण के साथ निर्जला व्रत रखकर भगवान सूर्य को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।
आज होगा डूबते सूर्य को अर्घ्य छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का दिन कहलाता है। आज शाम श्रद्धालु नदी, तालाब या घाटों पर एकत्र होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। यह अर्घ्य सूर्य की अंतिम किरण और उनकी पत्नी प्रत्यूषा देवी को समर्पित माना जाता है। इस अवसर पर सूर्य और षष्ठी माता के मंत्रों का जाप किया जाता है। आज संध्या अर्घ्य का समय शाम 4:50 बजे से 5:41 बजे तक रहेगा। इसके बाद कल सुबह उषा अर्घ्य दिया जाएगा, जब व्रती उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत का पारण करेंगे।
सूर्य को अर्घ्य देने के नियम छठ पूजा में अर्घ्य देते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है। अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे या पात्र का उपयोग किया जाता है। व्रती को पूर्व दिशा की ओर मुख करके दोनों हाथों से सिर के ऊपर जल अर्पित करना चाहिए। जल में लाल चंदन, सिंदूर और लाल फूल अवश्य डाले जाते हैं। अर्घ्य के समय ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए और सूर्य देव की ओर मुख करके तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। अर्पित जल को पैरों में गिरने से बचाते हुए किसी गमले या जमीन में विसर्जित करना उचित माना गया है।
संध्या अर्घ्य का आध्यात्मिक महत्व छठ महापर्व का संध्या अर्घ्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक भी है। यह सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा देवी को समर्पित होता है, जो संतुलन और स्थिरता का प्रतीक हैं। इस दिन दिया जाने वाला अर्घ्य हमें सिखाता है कि जीवन में हर उतार-चढ़ाव को धैर्यपूर्वक स्वीकार करना चाहिए और प्रकृति के प्रति सदैव आभार जताना चाहिए।