न्यायिक समीक्षा सीमित हो, ज्यूडिशियल अलर्टनेस न बने ज्यूडिशियल टेररिज्म,
CJI बीआर गवई का बड़ा बयान
5 days ago
Written By: NEWS DESK
भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाओं को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि ज्यूडिशियल रिव्यू यानी न्यायिक समीक्षा की शक्ति का इस्तेमाल बेहद संयम के साथ किया जाना चाहिए। यह हस्तक्षेप केवल उसी स्थिति में होना चाहिए जब कोई कानून संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता हो।
सतर्कता कभी "ज्यूडिशियल टेररिज्म" में तब्दील न हो
CJI गवई ने यह बात ऑक्सफोर्ड यूनियन में दिए गए अपने भाषण में कही। उन्होंने ‘From Representation to Realisation: Embodying the Constitution's Promise’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि न्यायपालिका को सतर्क रहना चाहिए, लेकिन यह सतर्कता कभी भी "ज्यूडिशियल टेररिज्म" में तब्दील नहीं होनी चाहिए।
न्यायपालिका की सीमाओं पर जोर
गवई ने एक लीगल न्यूज पोर्टल के सवाल के जवाब में कहा कि कई बार अदालतें उन सीमाओं में प्रवेश करने की कोशिश करती हैं जहां उन्हें नहीं जाना चाहिए। यह व्यवहार संविधान द्वारा तय की गई अलग-अलग संस्थाओं की सीमाओं का अतिक्रमण हो सकता है।
अधिकारों की रक्षा में हस्तक्षेप जरूरी, लेकिन मर्यादित
CJI ने स्पष्ट किया कि जब विधायिका (Legislature) और कार्यपालिका (Executive) नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में विफल रहती हैं, तब न्यायपालिका का हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है। लेकिन इस हस्तक्षेप की भी एक सीमा और मर्यादा होनी चाहिए, जिससे कि न्यायपालिका की निष्पक्षता और संतुलन बना रहे।