चीफ सेक्रेटरी-DGP से नाराज हुए CJI,
बोले-न न्यायपालिका सर्वोच्च, न ही संसद या कार्यपालिका, संविधान सबसे ऊपर
1 months ago
Written By: NEWS DESK
CJI BR Gavai Mumbai: मुंबई पहुचे भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने DGP और मुख्य सचिव के व्यवहार को लेकर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर की है। यहां मुंबई पहुचने पर उन्हें रिसीव करने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP) और मुंबई के पुलिस आयुक्त के न आने को लेकर CJI ने कहा कि, यहाँ के वरिष्ठ अधिकारी प्रोटोकाल का पालन नहीं करते हैं। यह लोकतंत्र के स्तंभों के बीच आपसी सम्मान की कमी को दर्शाता है।
CJI बोले: मैं इस बात से निराश
दरअसल, भारत के मुख्य न्यायधीश बीआर गवई बॉर काउन्सिल के एक कार्यक्रम में आज पहली बार मुंबई पहुंचे थे। जहां महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP) और मुंबई के पुलिस आयुक्त उन्हें रिसीव करने नहीं पहुचें। जिसको लेकर उन्होंने खुले मंच से नाराजगी जाहिर की। बार काउंसिल के कार्यक्रम में बोलते हुए CJI गवई ने कहा, "मैं इस बात से निराश हूं कि महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते। जब भारत का मुख्य न्यायाधीश पहली बार महाराष्ट्र आता है, तो यह अपेक्षित होता है कि राज्य के मुख्य सचिव, DGP और पुलिस कमिश्नर उसे रिसीव करें। ऐसा न करना सोचने पर मजबूर करता है।"
लोकतंत्र के स्तंभों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए
CJI गवई ने अपने भाषण में संविधान के तीनों स्तंभों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच आपसी सम्मान की आवश्यकता पर बल देते हुए स्पष्ट किया कि, "न तो न्यायपालिका सर्वोच्च है, न ही संसद या कार्यपालिका, बल्कि भारत का संविधान सर्वोच्च है। सभी अंगों को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए।"
सम्मान समारोह में भावुक हुए CJI गवई
मिली जानकारी के अनुसार, मुंबई में आयोजित महाराष्ट्र-गोवा बार काउंसिल के सम्मान समारोह में CJI बीआर गवई ने मराठी में सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उन्हें जो सम्मान और स्नेह मिला, उससे वे अभिभूत हैं। भाषण के दौरान वे भावुक हो गए और बोले, "मैं अपनी भावनाएं शब्दों में व्यक्त नहीं कर पा रहा हूं। यह सम्मान मेरे लिए अविस्मरणीय है। 14 मई को जब मैंने CJI पद की शपथ ली थी, तब भी महाराष्ट्र के लोगों ने मुझ पर खूब प्यार बरसाया।" इस अवसर पर वे मुंबई के चैत्यभूमि स्थित डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक भी पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
‘जजों को जमीनी सच्चाई से जुड़ा रहना चाहिए’
इससे पहले शनिवार को CJI गवई ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के कार्यक्रम में कहा था कि "जज जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकते। आज की न्यायपालिका कानूनी मामलों को सिर्फ काले और सफेद शब्दों में नहीं देख सकती। मानवीय अनुभवों की जटिलताओं को समझना जरूरी है।" उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को लोगों से जुड़ने से परहेज नहीं करना चाहिए और न्यायपालिका को लोगों से दूरी बनाकर प्रभावी नहीं बनाया जा सकता।