दिल्ली गैस चैंबर बनी,
चीन ने बढ़ाया मदद का हाथ – जानिए कैसे साफ हुई बीजिंग की हवा
1 months ago
Written By: Aniket Prajapati
देश की राजधानी दिल्ली इस वक्त जहरीली हवा की गिरफ्त में है। हर तरफ धुंध की मोटी परत छाई हुई है और सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। हवा में घुला जहर लोगों के फेफड़ों तक पहुंच चुका है। दिल्ली के ऊपर छाई यह धुंध अब हर साल का संकट बन चुकी है। सरकार और एजेंसियों के तमाम प्रयासों के बावजूद हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
चीन ने कहा – “हम भी इसी दौर से गुजरे हैं”
दिल्ली की खराब हवा को देखते हुए पड़ोसी देश चीन ने भारत की मदद की पेशकश की है। बीजिंग स्थित चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा – “कभी चीन भी गंभीर स्मॉग से जूझता था, लेकिन अब हमारे आसमान नीले हैं। हम भारत के साथ अपना अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं। हमें भरोसा है कि भारत भी जल्द यह लक्ष्य हासिल करेगा।”
दिल्ली-NCR की हवा बनी खतरनाक
दिल्ली और आसपास के इलाकों में हवा का स्तर अब “गंभीर” श्रेणी में पहुंच चुका है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई जगहों पर 400 के पार रिकॉर्ड हुआ है। अलीपुर में AQI 420, आनंद विहार में 403 और बवाना में 390 दर्ज किया गया। नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में भी हालात कमोबेश ऐसे ही हैं। गाजियाबाद के लोनी इलाके में AQI 420 से ऊपर पहुंच गया है — यानी हवा में जहर इतना है कि सांस लेना भी खतरा बन गया है।
कैसे साफ हुई चीन की हवा?
चीन भी एक वक्त में दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में गिना जाता था। बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझो जैसे शहरों में स्मॉग की मोटी परत छाई रहती थी। लेकिन 2013 के बाद चीन ने वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया — “Air Pollution Prevention and Control Action Plan”। इस नीति के तहत कोयले पर निर्भरता घटाने, उद्योगों के उत्सर्जन पर सख्ती और वायु गुणवत्ता की रियल-टाइम मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई।
पुराने वाहनों पर बैन, नई तकनीक को बढ़ावा
चीन ने पुराने और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़कों से हटाया। इलेक्ट्रिक बसों और टैक्सियों को बढ़ावा दिया गया। शहरों में साइकिल लेन और मेट्रो नेटवर्क का विस्तार किया गया ताकि लोग निजी वाहन कम चलाएं। प्रदूषक फैक्ट्रियों को या तो शहरों से बाहर शिफ्ट किया गया या बंद कर दिया गया। इस्पात, सीमेंट और कोयला उद्योगों को उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण लगाने अनिवार्य कर दिए गए।
चीन ने केवल प्रदूषण घटाया नहीं, हरियाली भी बढ़ाई
चीन ने सिर्फ प्रदूषण घटाने पर ध्यान नहीं दिया बल्कि पर्यावरण को फिर से जीवित करने पर भी काम किया। लाखों पेड़ लगाए गए, ग्रीन बेल्ट विकसित की गईं और “ग्रीन बिल्डिंग कोड” लागू किए गए ताकि नई इमारतें ऊर्जा कुशल हों। साथ ही, सौर और पवन ऊर्जा को प्राथमिकता दी गई। स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा को जरूरी हिस्सा बनाया गया ताकि आने वाली पीढ़ियां इस विषय को समझ सकें।
भारत के लिए सीख – नीति, तकनीक और जनभागीदारी जरूरी
चीन का अनुभव बताता है कि यदि सरकार की नीतियां स्पष्ट हों, जनता सहयोग करे और तकनीक का सही इस्तेमाल हो तो हवा को साफ किया जा सकता है। चीन का मॉडल आज कई देशों के लिए प्रेरणा है। भारत भी इस दिशा में आगे बढ़कर अपने शहरों को “गैस चैंबर” से “ग्रीन सिटी” में बदल सकता है — बस जरूरत है नीति, विज्ञान और जनभागीदारी के सही संतुलन की।