डॉक्टर्स ऑफ टेरर की क्राइम कुंडली खोलने वाला आईपीएस…
जिसने एक पोस्टर से पकड़ ली मौत की साजिश
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके के बाद पूरे देश में दहशत फैल गई है। शुरुआती जांच में पता चला है कि ये ब्लास्ट जल्दबाज़ी में किया गया था, क्योंकि फरीदाबाद में भारी मात्रा में विस्फोटक मिलने के बाद जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े डॉक्टर उमर घबराहट में था। जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार किए गए आतंकी डॉक्टर किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा थे। इस साजिश को नाकाम करने में श्रीनगर के एसएसपी डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती की अहम भूमिका रही।
जैश के पोस्टर से खुली साजिश की पोल 17 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के नौगाम इलाके में उर्दू में लिखे पोस्टर लगाए गए। इन पर जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर हंजला भाई के हस्ताक्षर थे। देखने में ये पोस्टर साधारण लग रहे थे, लेकिन श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती ने उनमें छिपे खतरे को पहचान लिया। कश्मीर में उन्हें आतंकियों का काल कहा जाता है। उन्होंने तुरंत जांच शुरू की, सीसीटीवी फुटेज खंगाले और तीन संदिग्धों की पहचान की, जो पहले भी पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल थे। इसके बाद जांच जम्मू-कश्मीर से हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैल गई।
कश्मीरी डॉक्टरों का नेटवर्क बेनकाब इस जांच के बाद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े कई कश्मीरी डॉक्टरों की गिरफ्तारी हुई। इस ऑपरेशन में पुलिस ने 2921 किलो विस्फोटक, बम बनाने की सामग्री और दो एके सीरीज़ की राइफलें बरामद कीं। श्रीनगर, फरीदाबाद और यूपी में चल रहे इस व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ डॉ. संदीप के नेतृत्व में हुआ। गिरफ्तार आरोपियों में डॉ. शाहीन सईद, मुजम्मिल और अदील अहमद जैसे नाम शामिल हैं। बताया जा रहा है कि फरीदाबाद में डॉ. संदीप ने खुद आम नागरिक बनकर ऑपरेशन को अंजाम दिया।
वर्दी में डॉक्टर, आतंकियों के दुश्मन आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में जन्मे डॉ. जीवी संदीप का परिवार जनसेवा से जुड़ा रहा है। उनके पिता सरकारी अस्पताल में रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर थे, जबकि मां स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी थीं। उन्होंने कुरनूल मेडिकल कॉलेज से 2010 में डॉक्टर की डिग्री हासिल की और 2014 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए। कश्मीर में तैनाती के दौरान उन्होंने अनंतनाग, कुपवाड़ा और कुलगाम जैसे इलाकों में कई आतंकियों को बेअसर किया। 21 अप्रैल 2025 को उन्होंने श्रीनगर के एसएसपी का पदभार संभाला।
छोटी धमकी में भी बड़ा संदेश डॉ. संदीप की कार्यशैली का मूल मंत्र है छोटी धमकी में भी बड़ा संदेश छिपा होता है।” इसी सोच के कारण उन्होंने नौगाम के पोस्टर को हल्के में नहीं लिया और उसी से इस बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ। पूछताछ में मौलवी इरफ़ान अहमद से कई अहम सुराग मिले, जिनके बाद आतंकियों की गिरफ्तारी हुई। डॉ. जीवी संदीप को अब तक आतंकवाद-रोधी अभियानों में असाधारण साहस दिखाने के लिए छह बार राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक और चार बार जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक से सम्मानित किया जा चुका है।