भारत की सुपरसोनिक मिसाइल क्षमता में मजबूती:
DRDO ने लिक्विड फ्यूल रैमजेट इंजन प्रोजेक्ट के लिए 14 कंपनियों को चुना
1 months ago Written By: Aniket prajapati
नई दिल्ली: भारत अपनी स्वदेशी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इसके तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने लिक्विड फ्यूल रैमजेट (LFRJ) इंजन के विकास और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए डेवलपमेंट-कम-प्रोडक्शन पार्टनर की तलाश शुरू कर दी है। इस पहल के लिए DRDO ने 14 भारतीय कंपनियों को चुना है, जिनमें सरकारी, प्राइवेट और नई हाई-टेक कंपनियां शामिल हैं। यह कदम भारत की आत्मनिर्भर रक्षा रणनीति को और मजबूती देने वाला माना जा रहा है।
रैमजेट इंजन: मिसाइल प्रोजेक्ट्स के लिए अहम लिक्विड फ्यूल रैमजेट इंजन सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह इंजन मिसाइल को उच्च गति प्रदान करता है और लंबी दूरी तय कर सटीक निशाना लगाने में मदद करता है। DRDO चाहती है कि इन इंजन पर काम करने वाली कंपनियां प्रोजेक्ट की शुरूआत से ही शामिल हों, जिससे इंजन के विकास से लेकर बड़े पैमाने पर उत्पादन तक का काम सुचारू रूप से हो सके। इससे निजी कंपनियों को भी रक्षा क्षेत्र में तेजी से प्रवेश करने का अवसर मिलेगा।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम LFRJ इंजन परियोजना भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत मुहिम का हिस्सा है। इससे न केवल भारतीय रक्षा उत्पादन में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता भी कम होगी। DRDO के इस प्रोजेक्ट से भारत की मिसाइल टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग क्षमता को भी बल मिलेगा।
चुनी गई कंपनियों की सूची इस परियोजना के लिए DRDO ने 14 कंपनियों को चुना है: गोदरेज एंड बॉयस (मुंबई), भारत एडवांस्ड टॉरपीडोज़ लिमिटेड (BATL, तिरुवनंतपुरम), टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL, हैदराबाद), VEM टेक्नोलॉजीज (हैदराबाद), लार्सन एंड टुब्रो (कोयंबटूर), MTAR टेक्नोलॉजीज (हैदराबाद), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL, हैदराबाद), BEML (बेंगलुरु), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL, कोरापुट), PTC इंडस्ट्रीज (लखनऊ), स्काईरूट एयरोस्पेस (हैदराबाद), जयके एंटरप्राइजेज (कानपुर), BHEL (नई दिल्ली), और KUN एयरोस्पेस (चेन्नई) यह पहल भारतीय रक्षा उत्पादन और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक नई दिशा देने वाली है, जिससे आने वाले वर्षों में भारत की मिसाइल और सुपरसोनिक क्षमता में तेजी से सुधार देखने को मिलेगा।