अंतरराष्ट्रीय परमाणु तनाव: अमेरिका, रूस,
चीन और पाकिस्तान की मिसाइल होड़ तेज
1 months ago Written By: ANIKET PRAJAPATI
दुनिया में परमाणु हथियारों और मिसाइलों की होड़ एक बार फिर तेज हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रशासन को परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का आदेश दिया है। रूस ने हाल ही में 9M730 बुरेवेस्टनिक नामक न्यूक्लियर क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया है, जो 14,000 किलोमीटर तक वार कर सकती है और 15 घंटे तक हवा में रहकर लक्ष्य को मार सकती है। वहीं, चीन भी अपनी मिसाइल क्षमता बढ़ा रहा है और अमेरिका का दावा है कि पाकिस्तान भी परमाणु परीक्षण कर रहा है। इस पूरी स्थिति में वैश्विक सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम और अमेरिका की भूमिका पाकिस्तान ने अपनी स्थापना से ही परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी थी। 1956 में उसने एटॉमिक एनर्जी कमीशन बनाई, जिसका उद्देश्य भारत की बढ़ती परमाणु क्षमता का मुकाबला करना था। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा कि अगर भारत बम बनाता है, तो पाकिस्तान भूखा रहकर भी अपना बम बनाएगा। शुरुआती वर्षों में अमेरिका ने पाकिस्तान को कोई परमाणु ढील नहीं दी, लेकिन 1979 में सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर हमले के बाद अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरत पड़ी और उसने अपने प्रतिबंध हटाने शुरू किए।
भारत का परमाणु कार्यक्रम भारत ने 18 मई 1974 को अपना पहला परमाणु परीक्षण किया और दुनिया को एक परमाणु संपन्न राष्ट्र के रूप में परिचित कराया। अमेरिका के दस्तावेजों के अनुसार, भारत के पास 1973 तक पहले से ही प्लूटोनियम का भंडार था और वह एक दर्जन या उससे अधिक हथियार बनाने में सक्षम था।
पाकिस्तान पर हवाई हमले की योजना अमेरिकी खुफिया अधिकारी रिचर्ड बार्लो के अनुसार, 1980 के दशक में भारत और इजरायल ने पाकिस्तान के कहूता यूरेनियम संयंत्र पर हवाई हमले की योजना बनाई थी। इसका उद्देश्य पाकिस्तान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकना था। लेकिन, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस हमले की इजाजत नहीं दी।