बाबा रामदेव के शरबत जिहाद पर बवाल,
जानिए यूपी में बने भारत-पाकिस्तान में बेहद लोकप्रिय रूह आफजा की कहानी…
16 days ago
Written By: NEWS DESK
लखनऊ: योग गुरु बाबा रामदेव के रूह अफजा पर दिए गए बयान के बाद यह शरबत इन दिनों काफी चर्चा में है। अब इस पेय को लेकर राजनीति भी तेज़ हो गई है। इसके चलते उत्तर प्रदेश में सियासी माहौल गर्म है। वहीं, गर्मी में राहत देने वाले इस शरबत को लेकर बढ़ी सियासी सरगर्मियों के बीच रूह अफजा हर ओर चर्चा का विषय बना हुआ है।
इसी बीच, अगर हम इस शरबत की उत्पत्ति की बात करें, तो लोगों की पहली पसंद बनने वाले रूह अफजा की जड़ें भी उत्तर प्रदेश से जुड़ी हैं। दरअसल, स्वाद और ताजगी देने वाला यह शरबत सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक विरासत है, जिसे हकीम अब्दुल मजीद ने बनाया था। जो कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के रहने वाले थे। इसके बाद पीलीभीत से निकली रूह अफजा, भारत से लेकर पाकिस्तान तक लोकप्रिय हो गई।
पीलीभीत से दिल्ली तक का सफर…
हकीम अब्दुल मजीद का जन्म 1883 में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के मोहल्ला पंजाबियान में हुआ था। रोजगार की तलाश में वह दिल्ली चले आए और वहां पुरानी दिल्ली के लालकुआं इलाके में 'हमदर्द दवाखाना' की शुरुआत की। बाद में यह दवाखाना एक लेबोरेट्री में तब्दील हो गया।
यूनानी चिकित्सा में लिया प्रशिक्षण…
दिल्ली आने के बाद हकीम अब्दुल मजीद ने प्रसिद्ध यूनानी चिकित्सक हकीम अजमल खान के साथ काम करके यूनानी चिकित्सा पद्धति की बारीकियां सीखीं। इसके बाद 1906 में हर्बल दवाओं का कारोबार शुरू किया।
ऐसे बनी रूह अफजा…
हकीम अब्दुल मजीद ने हकीमों की एक टीम के साथ मिलकर कई तरह की जड़ी-बूटियों और फलों के अर्क को मिलाकर 'रूह अफजा' तैयार किया। इसमें तुखम-ए-खुरफा, तुखम-ए-कासनी, मुनक्का, छरीला, निलोफर, गाओजाबान और हरा धनिया जैसी औषधीय जड़ी-बूटियां शामिल थीं। इसके अलावा इसमें संतरा, अनानास, गाजर और तरबूज का अर्क भी डाला गया।
कहां से आया ‘रूह अफजा’ नाम…
‘रूह अफजा’ का मतलब होता है ‘आत्मा को ताज़ा करना’। माना जाता है कि इस नाम की प्रेरणा 19वीं सदी के पंडित दया शंकर नसीम लखनवी की फारसी रचना ‘मसनवी गुलज़ारे नसीम’ के उर्दू अनुवाद से ली गई थी।
आज भी कायम है लोकप्रियता…
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में आज भी रूह अफजा गर्मी में सबसे ज़्यादा पसंद किए जाने वाले शरबतों में गिना जाता है। अपनी औषधीय और ताजगी देने वाली खूबियों के चलते यह पीढ़ियों से लोगों की पसंद बना हुआ है।
क्या है रूह अफजा को लेकर विवाद…
दरअसल, गुलाब के शरबत यानी रूह अफजा को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव इन दिनों सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने अपने वीडियो में 'शरबत जिहाद' को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म कर दिया है। बाबा रामदेव ने दावा किया कि बाज़ार में मशहूर शरबत बेचने वाली एक कंपनी अपने मुनाफे से मस्जिदें और मदरसे बनवा रही है। इसके बाद उन्होंने लोगों से पतंजलि का गुलाब शरबत खरीदने की अपील की।
उनके इस बयान की कई जगहों पर निंदा भी हो रही है। बाबा रामदेव ने कहा था कि “एक कंपनी है जो आपको शरबत देती है, लेकिन इससे होने वाली कमाई का इस्तेमाल मदरसे और मस्जिद बनाने में किया जाता है। अगर आप वह शरबत पीते हैं, तो मदरसे और मस्जिद बनेंगे। लेकिन अगर आप यह (पतंजलि के गुलाब शरबत का ज़िक्र करते हुए) पीते हैं, तो गुरुकुल बनेंगे, आचार्यकुलम विकसित होगा, पतंजलि विश्वविद्यालय का विस्तार होगा और भारतीय शिक्षा पद्धति का विकास होगा।”