भारत–अफगानिस्तान हवाई मालवाहक सेवा शुरू करने की तैयारी,
बदल सकती है दक्षिण एशिया की रणनीतिक तस्वीर
1 months ago Written By: Aniket prajapati
भारत और अफगानिस्तान ने सीधी हवाई मालवाहक उड़ानें शुरू करने का फैसला किया है। यह कदम दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नया आयाम देने के साथ-साथ दक्षिण एशिया की पावर बैलेंस में बड़े बदलाव का संकेत देता है। तालिबान शासित अफगानिस्तान और भारत के बीच बढ़ते संबंध इस बात का संकेत हैं कि दोनों देश अपने पड़ोसी पाकिस्तान से लगातार दूर होते जा रहे हैं। हाल ही में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा संघर्ष बढ़ा है और अक्टूबर में हुआ संघर्ष विराम भी टिक नहीं पाया। ऐसे माहौल में भारत–अफगानिस्तान साझेदारी इस क्षेत्र में नई कूटनीति का संकेत है।
काबुल का नया कदम और नई दिल्ली की रणनीतिक चाल विशेषज्ञों का कहना है कि हवाई मालवाहक सेवा शुरू करने की पहल काबुल द्वारा व्यापार मार्गों को विविध बनाने और पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने की कोशिश का हिस्सा है। यह कदम पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं भारत इसके ज़रिए अफगानिस्तान में अपनी पुरानी प्रभावशाली भूमिका फिर से मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
हवाई सेवा से अफगानिस्तान को त्वरित लाभ अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री नूरुद्दीन अजीजी की दिल्ली यात्रा के बाद भारत ने इस निर्णय की घोषणा की। नई उड़ान सेवा से अफगानिस्तान से ताजे फल, सूखे मेवे और औषधीय जड़ी-बूटियों का तेज़ी से निर्यात संभव होगा, जो अब तक जमीनी रास्तों में देरी के कारण प्रभावित होता था। स्थल-रुद्ध देश के लिए यह सुविधा आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चाबहार पोर्ट और संयुक्त वाणिज्य मंडल की तैयारी दोनों देशों ने घोषणा की है कि वे अपने-अपने दूतावासों में वाणिज्यिक प्रतिनिधि नियुक्त करेंगे और एक संयुक्त वाणिज्य एवं उद्योग मंडल बनाएंगे। रिपोर्टों के अनुसार, भारत और अफगानिस्तान ईरान के चाबहार बंदरगाह का उपयोग करके व्यापार बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जिससे पाकिस्तान पर निर्भरता और कम होगी। यह भारत की लंबे समय से चली आ रही कनेक्टिविटी रणनीति का अहम हिस्सा है।
नई दिल्ली–काबुल में बढ़ते संबंधों से परेशान इस्लामाबाद पाकिस्तान भारत और अफगानिस्तान की नज़दीकियों को लेकर चिंतित है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि भारत–अफगानिस्तान साझेदारी दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को बदल रही है, खासकर तब जब भारत–पाकिस्तान के बीच मई में हुई सैन्य झड़प के बाद तनाव बढ़ा है। पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत अफगान आतंकवादियों को समर्थन देता है, लेकिन भारत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।
भारत का लक्ष्य—क्षेत्रीय अस्थिरता रोकना और रणनीतिक सहयोग बढ़ाना भारतीय राजनयिक संजीव कोहली ने कहा कि भारत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देने की नीति पर कायम है। हालिया भूकंप के दौरान भी भारत ने बड़ी मदद भेजी थी। जैसे-जैसे पाकिस्तान–अफगानिस्तान संबंध बिगड़ रहे हैं, भारत व्यापक क्षेत्र में अस्थिरता को रोकने के लिए काबुल के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा है।
तालिबान को भारत की आर्थिक शक्ति का एहसास अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ हर्ष पंत के अनुसार, तालिबान को समझ है कि आर्थिक विकास के लिए भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार है। हालांकि कनेक्टिविटी की चुनौतियाँ अभी मौजूद हैं, फिर भी भारत–अफगानिस्तान संबंध आगे बढ़ने की संभावना रखते हैं। अफगानिस्तान के मंत्री अजीजी ने भारत को पांच साल की टैक्स फ्री निवेश छूट और मुफ्त जमीन की पेशकश भी की है। अफगानिस्तान के तेल, गैस और खनिज संसाधनों में निवेश से भारत को बड़ा लाभ मिल सकता है।