भारत-कनाडा रिश्तों में तेजी,
नागरिकता कानून में बड़े बदलाव से हजारों परिवारों को राहत
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
भारत और कनाडा के रिश्तों में लंबे समय से तनाव चल रहा था, लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में हुई G20 लीडर्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की मुलाकात ने रिश्तों में नई जान डाल दी है। इस मुलाकात के बाद दोनों देशों ने पुराने और रुके हुए कॉम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (CEPA) पर फिर से बातचीत शुरू करने का फैसला लिया है। यह कदम दोनों देशों के आर्थिक संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसी बीच कनाडा ने भारतीय मूल के हजारों परिवारों को एक बड़ा तोहफा दिया है और नागरिकता नियमों में बड़ा बदलाव किया है।
कनाडा ने बदला नागरिकता कानून, ‘लॉस्ट कनेडियन्स’ को बड़ी राहत कनाडा की संसद ने बिल C-3 को पास कर दिया है और इसे रॉयल असेंट भी मिल गया है। इसके लागू होने के बाद अब कनाडा की सिटिजनशिप एक्ट 2025 में बड़े बदलाव शुरू हो जाएंगे। इमिग्रेशन मिनिस्टर लीना डियाब ने कहा कि यह कानून उन लोगों को न्याय देगा जो पुराने नियमों के कारण नागरिकता से बाहर रह गए थे। यह कानून खासकर उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है, जिनके बच्चे विदेश में पैदा होने की वजह से नागरिकता नहीं पा सके थे। ये लोग कई सालों से परेशान थे और ‘लॉस्ट कनेडियन्स’ के रूप में जाने जाते थे।
कौन सा नियम बदला गया? 2009 में कनाडा ने ‘सेकंड जेनरेशन कट-ऑफ’ नियम लागू किया था। इसके तहत अगर कोई कनाडाई नागरिक खुद विदेश में पैदा हुआ है, तो वह अपने बच्चे को तभी कनाडाई नागरिकता दे सकता है जब बच्चा कनाडा में जन्म ले। इस कानून के कारण हजारों ऐसे लोग फंस गए जो कनाडा से जुड़े थे, लेकिन उनके बच्चों को नागरिकता नहीं मिल पाती थी।
भारतीय परिवारों को क्या फायदा होगा? कई भारतीय मूल के परिवार ऐसे हैं जिनके बच्चे विदेश में जन्म लेने या गोद लिए जाने की वजह से नागरिकता पाने से वंचित रह गए थे। नया कानून लागू होने के बाद ऐसे सभी मामलों को समाधान मिलेगा। अब कोई भी कनाडाई नागरिक, चाहे वह खुद विदेश में पैदा हुआ हो या गोद लिया गया हो, अपने बच्चे को नागरिकता दे सकेगा।
भारत-कनाडा फिर करेंगे CEPA व्यापार समझौते पर बातचीत दोनों देशों ने CEPA बातचीत 2010 में शुरू की थी और 2022 में इसमें काफी प्रगति हुई थी। दवाइयों, क्रिटिकल मिनरल्स, टूरिज्म, ग्रीन एनर्जी और माइनिंग जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा था। लेकिन 2023 में कनाडा ने बातचीत रोक दी, जिससे रिश्तों में तनाव बढ़ गया। अब मुलाकात के बाद दोनों देश एक हाई-अम्बिशन व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। लक्ष्य है कि साल 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचाया जाए। इसके अलावा सिविल न्यूक्लियर सहयोग को मजबूत करने और लम्बे समय के यूरेनियम सप्लाई एग्रीमेंट पर भी चर्चा शुरू होगी।